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नेजुएला की मारिया कोरीना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार, ट्रंप की उम्मीदों को बड़ा झटका

साल 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की नेता मारिया कोरीना मचाडो को मिला। उनकी जीत से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की उम्मीदें टूट गईं जिन्हें कई देशों ने नामांकित किया था।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

International News: नोबेल समिति ने इस बार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को शांति पुरस्कार देने का एलान किया। उन्होंने वर्षों तक तानाशाही शासन के खिलाफ आवाज उठाई। लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई में उनका योगदान दुनिया ने देखा। उनका संघर्ष केवल अपने देश के लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए उम्मीद है जो दमन झेल रहे हैं। इस फैसले से वेनेजुएला की जनता को नया उत्साह मिला है।

ट्रंप की उम्मीदें टूटीं

कई देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए आगे बढ़ाया था। उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि उन्हें यह सम्मान मिलेगा। लेकिन समिति ने यह पुरस्कार मचाडो को देकर सबको चौंका दिया। ट्रंप के लिए यह झटका इसलिए भी बड़ा है क्योंकि वे इसे अपनी वैश्विक छवि मजबूत करने का मौका मान रहे थे। अब उनकी उम्मीदें धरी रह गई हैं।

लोकतंत्र की लड़ाई की पहचान

मचाडो को यह सम्मान खास तौर पर उनके शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए दिया गया। उन्होंने बिना हिंसा के लोगों को जागरूक किया और लोकतंत्र की बहाली के लिए आवाज उठाई। उनके नेतृत्व में लोगों ने सड़कों पर शांति मार्च निकाले और भ्रष्टाचार व तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद की। समिति ने कहा कि यह पुरस्कार उन सबके लिए है जो न्यायपूर्ण शासन चाहते हैं।

वेनेजुएला में खुशी की लहर

पुरस्कार की घोषणा होते ही वेनेजुएला की राजधानी कराकस में लोगों ने खुशी जताई। नागरिकों ने इसे अपने संघर्ष की जीत बताया। युवा वर्ग खासतौर पर बेहद उत्साहित दिखा। कई लोगों ने कहा कि यह सम्मान साबित करता है कि दुनिया उनकी आवाज सुन रही है। गरीब और आम जनता को विश्वास मिला है कि उनके बलिदान व्यर्थ नहीं गए।

दुनिया भर से मिली प्रतिक्रिया

यूरोपीय देशों ने इस फैसले का स्वागत किया। लैटिन अमेरिकी देशों ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया। अमेरिकी मीडिया ने इसे ट्रंप और मचाडो की तुलना के रूप में पेश किया। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम दुनिया को दिखाता है कि शांति पुरस्कार केवल ताकतवर नेताओं के लिए नहीं, बल्कि असली कार्यकर्ताओं के लिए है।

समिति ने दिए साफ संदेश

नोबेल समिति ने कहा कि यह पुरस्कार ऐसे लोगों को दिया जाता है जो शांति और लोकतंत्र को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि मचाडो की हिम्मत और प्रतिबद्धता उन्हें योग्य बनाती है। यह फैसला आने वाले समय में लोकतांत्रिक आंदोलनों को और मजबूती देगा। साथ ही यह भी दिखाता है कि हिंसा नहीं बल्कि शांति ही बदलाव का असली रास्ता है।

आगे की चुनौतियां अभी बाकी

हालांकि यह सम्मान बड़ा है, लेकिन वेनेजुएला की चुनौतियां खत्म नहीं हुईं। वहां की सत्ता अब भी मजबूत है और सुधार की राह मुश्किल है। मचाडो ने कहा कि वह अपने संघर्ष को जारी रखेंगी। वहीं ट्रंप समर्थक अब भी मानते हैं कि उन्हें भविष्य में मौका मिल सकता है। इस बीच यह फैसला पूरी दुनिया में शांति और लोकतंत्र पर नई बहस शुरू कर चुक 

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10 October 2025, 03:06 PM IST

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