भारत के साथ अमेरिका, तुलसी गबार्ड ने पहलगाम हमले को बताया इस्लामी आतंकवाद
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. सैलानियों की हत्या के इस जघन्य कृत्य पर अमेरिका, रूस और अन्य देशों ने भारत के साथ खड़ा होने का भरोसा दिलाया, आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की मिसाल पेश की.

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए 26 सैलानियों की हत्या को अमेरिका ने सिर्फ निंदा तक सीमित नहीं रखा. अमेरिकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने सीधे इसे "इस्लामिक आतंकी हमला" करार दिया और ऐलान किया कि अमेरिका आतंकियों को पकड़वाने में भारत की हरसंभव मदद करेगा. शुक्रवार को सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, “हम भारत के साथ खड़े हैं. यह हमला सिर्फ हिंदुओं पर नहीं, बल्कि पूरी सभ्यता पर हुआ है.” गबार्ड ने साफ कर दिया कि अमेरिका अब सिर्फ बयानों से नहीं, खुफिया सहयोग और कूटनीतिक दबाव से भी जवाब देगा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की जनता के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए इस हमले को "जघन्य और सुनियोजित" करार दिया.
तुलसी गबार्ड की प्रतिक्रिया कोई भावनात्मक संदेश मात्र नहीं थी. अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार परिषद की बैठक में पहलगाम हमले को लेकर चर्चा हुई और दक्षिण एशिया यूनिट को सतर्क किया गया. सूत्रों के अनुसार, भारत को आतंकियों की लोकेशन और मूवमेंट पर सेटेलाइट इंटेलिजेंस मुहैया कराई जा सकती है.
ट्रंप ने बढ़ाया भरोसा, सीधा किया पीएम मोदी को फोन
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपनी प्रतिक्रिया में भारत के साथ ‘कंधे से कंधा’ मिलाकर चलने की बात कही. उन्होंने कहा, “ये हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका और भारत साथ हैं.” ट्रंप का यह बयान साफ करता है कि अमेरिका के दोनों राजनीतिक धड़े – डेमोक्रेट और रिपब्लिकन – इस मुद्दे पर एकमत हैं.
भारत की लड़ाई अब वैश्विक मंच पर
पहलगाम का हमला भारत के भीतर हुआ, लेकिन उसका असर अब अमेरिकी नीति-निर्माण तक पहुंच चुका है. अमेरिकी मीडिया में भी इसे भारत में धार्मिक लक्षित आतंकवाद बताया जा रहा है. इससे यह साफ हो गया है कि भारत अब सिर्फ पीड़ित नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए अहम साझेदार है.
आतंक के खिलाफ अब दो देशों की नहीं, दो लोकतंत्रों की जंग
भारत और अमेरिका दोनों आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित रहे हैं. लेकिन इस बार अमेरिका का रुख बदला हुआ हैवो कूटनीति छोड़कर स्ट्रेटेजिक एक्शन की तरफ बढ़ रहा है. अमेरिका की इस सक्रियता ने भारत की पीठ थपथपाने के बजाय, अब साथ चलने का वादा किया है.


