कल तक ट्रंप को नोबल दिलाना चाहता था पाकिस्तान, आज अमेरिका को सुनाई खरी-खोटी
US strikes on Iran: कल तक ट्रंप को नोबल दिलाने की पैरवी कर रहा पाकिस्तान अब ईरान के समर्थन में उतर आया है. अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों की पाकिस्तान ने कड़ी निंदा की है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है.

US strikes on Iran: एक दिन पहले ही ट्रंप को शांति का मसीहा बता रहा पाकिस्तान अब अमेरिका की ईरान पर कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बता रहा है. मिडिल ईस्ट में बढ़ती तनातनी के बीच पाकिस्तान ने साफ तौर पर ईरान का पक्ष लेते हुए अमेरिका की आलोचना की है. पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया था, लेकिन अब वही पाकिस्तान अमेरिका की ईरान पर एयरस्ट्राइक को गंभीर उल्लंघन करार दे रहा है.
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के बीच अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिससे मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ गया है. इस हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार सामने आई और अमेरिकी कार्रवाई की तीखी आलोचना की.
पाकिस्तान ने अमेरिका पर साधा निशाना
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, "अमेरिका ने एयरस्ट्राइक कर अंतर्राष्ट्रीय कानून के सभी नियमों का उल्लंघन किया है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत ईरान के पास अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है."
बयान में आगे कहा गया कि पाकिस्तान मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है और यह हालात न सिर्फ मिडिल ईस्ट बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं. पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई की निंदा करते हुए बातचीत और कूटनीति को ही समाधान बताया.
पाकिस्तान-ईरान की नजदीकी
ईरान के साथ पाकिस्तान की करीब 900 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. दोनों देशों के बीच सीमाई सहयोग और राजनीतिक हित लंबे समय से जुड़े रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान का रुख अमेरिका के खिलाफ और ईरान के पक्ष में आना, क्षेत्रीय समीकरणों में बदलाव की तरफ इशारा करता है. पाकिस्तान ने इजरायल और ईरान दोनों से युद्ध समाप्त करने की अपील की और कहा, "सैन्य संघर्ष नहीं बल्कि डिप्लोमेसी ही शांति का एकमात्र रास्ता है."
ट्रंप के लिए नोबेल की पैरवी, अब विरोध
मौजूदा स्थिति से ठीक एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए की थी. पाकिस्तान सरकार का दावा था कि 2025 में भारत-पाक युद्ध जैसे हालातों को टालने में ट्रंप ने निर्णायक भूमिका निभाई थी.
सरकार की ओर से कहा गया, "ट्रंप की कोशिशों की वजह से ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ था, जिससे युद्ध का बड़ा खतरा टल सका. इसी वजह से ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के असली हकदार हैं."
भारत-पाक तनाव और ट्रंप की भूमिका
दरअसल, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने ऑपरेशन बुनयान उन मरसूस शुरू किया. इससे दोनों देशों के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए थे. लेकिन पाकिस्तान के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के कूटनीतिक हस्तक्षेप और नेतृत्व से मामला सुलझा और क्षेत्र में स्थिरता आई.


