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डॉलर की खातिर शराब जायज! पाकिस्तान ने 50 साल बाद खोला निर्यात का दरवाजा

इस्लामिक देशों में शराब को लेकर कड़े नियम है. हालांकि पड़ोसी देश पाकिस्तान में शराब अब डॉलर के लिए जायज हो गया है. सबसे पुरानी मुर्री ब्रेवरी को करीब 50 साल बाद शराब निर्यात करने की अनुमति मिल गई है.

पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश में शराब पर सख्त पाबंदी है, लेकिन अर्थव्यवस्था की जरूरतों ने नियमों में ढील दी है. दरअसल हाल ही में पाकिस्तान की सबसे पुरानी मुर्री ब्रेवरी को करीब 50 साल बाद शराब निर्यात करने यानी की बेचने की अनुमति मिल गई. यह फैसला विदेशी मुद्रा कमाने के लिए लिया गया है. इससे पहले सऊदी अरब ने भी गैर-मुस्लिमों के लिए शराब की दुकान खोलकर सुर्खियां बटोरी थीं.

मुर्री ब्रेवरी की पुरानी कहानी

मुर्री ब्रेवरी की शुरुआत 1860 में ब्रिटिश राज में हुई थी. यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी और पुरानी शराब कंपनी है. रावलपिंडी में स्थित इसका कारखाना सेना प्रमुख के घर के ठीक सामने है, जहां सुरक्षा बहुत सख्त रहती है.

कंपनी का सालाना कारोबार 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा है. आधी कमाई शराब से आती है, बाकी गैर-अल्कोहलिक ड्रिंक्स और बोतल बनाने से आती है. पाकिस्तान में शराब सिर्फ गैर-मुस्लिमों और विदेशियों को बेची जा सकती है.

निर्यात की अनुमति क्यों मिली ?

1977 में पाकिस्तान में शराब पर पूरी तरह बैन लगा था. निर्यात भी रोक दिया गया था. अब यह प्रतिबंध हट गया है, ताकि देश को डॉलर मिल सकें. पहले कंपनी भारत, अफगानिस्तान, खाड़ी देशों और अमेरिका तक शराब भेजती थी. अब जापान, ब्रिटेन और पुर्तगाल में टेस्ट शिपमेंट शुरू हो गए हैं. कंपनी के पास 2200 कर्मचारी हैं और अब यूरोप, एशिया, अफ्रीका के बाजारों पर नजर है.

मालिक की खुशी और संघर्ष

कंपनी के मालिक इस्फनयार भंडारा तीसरी पीढ़ी के हैं. उन्होंने इसे परिवार के लंबे संघर्ष की जीत बताया. उनके दादा-परदादा भी कोशिश करते रहे, लेकिन सफल नहीं हुए. 2017 में चीनी कंपनी को अनुमति मिलने से उन्हें झटका लगा था.

अब वे खुश हैं कि विदेशों में ब्रांड प्रमोशन का मौका मिलेगा. यह फैसला धार्मिक नियमों और आर्थिक जरूरतों के बीच संतुलन दिखाता है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को इससे फायदा होगा, लेकिन बहस भी जारी रहेगी. 

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25 December 2025, 01:49 PM IST

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