मनमोहन सिंह के निधन पर पाकिस्तान के गांव में शोक: 'ऐसा लग रहा है जैसे परिवार का कोई सदस्य मर गया'
1932 में गाह में जन्मे मनमोहन सिंह का इस गांव से गहरा नाता था, जो इस्लामाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। सिंह का गुरुवार रात नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

Manmohan Singh Death: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका जन्म पाकिस्तान के गाह गांव में हुआ था, का हाल ही में निधन हो गया। उनके निधन के बाद इस गांव में गहरी शोक की लहर दौड़ गई है। यह वही गांव है जहां मनमोहन सिंह ने 26 सितंबर, 1932 को जन्म लिया था, और जहां उनकी बचपन की कई यादें बसी हुई थीं।
गाह गांव में शोक की लहर
गाह, जो पाकिस्तान के इस्लामाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है, वहां के लोग इस दुखद खबर से काफी प्रभावित हैं। मनमोहन सिंह का नाम सुनते ही गांव के लोग गर्व महसूस करते थे कि उनका एक लड़का भारत के प्रधानमंत्री बना था। यह गांव एक समय था जब सिंह ने यहां अपने जीवन के पहले साल बिताए थे। उनके निधन पर गांव के लोग और उनके पुराने शिक्षक अल्ताफ हुसैन बहुत दुखी थे। हुसैन ने कहा, "हमारे परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हुई हो, ऐसा लगता है।"
गांव का गर्व और दुख
गाह में मनमोहन सिंह के सहपाठी राजा आशिक अली ने बताया, "हम सभी गांववाले बहुत दुखी हैं। हमें गर्व था कि हमारे गांव का लड़का भारत का प्रधानमंत्री बना।" सिंह के निधन के बाद, उनका नाम गांव के सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में से एक स्कूल से जुड़ा है, जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली थी। यह स्कूल अब भी उनके नाम से जुड़ा हुआ है, और स्थानीय लोग इस स्कूल के जीर्णोद्धार की योजना बना रहे हैं।
सिंह का बचपन और विभाजन का दर्द
मनमोहन सिंह का बचपन विभाजन के दौर में गाह में बीता, और यही वह समय था जब उन्होंने अपने दादा की दुखद मृत्यु देखी थी। उनके लिए गाह लौटने का विचार भी कभी सुखद नहीं था। जब उनकी बहन ने उनसे पूछा कि क्या वे गाह लौटना चाहते हैं, तो उनका जवाब था, "नहीं, यहां मेरे दादा की हत्या हुई थी।" हालांकि, इस कठिन समय ने उन्हें अपने जीवन के उद्देश्यों के प्रति और भी दृढ़ बना दिया।
मनमोहन सिंह की शैक्षिक यात्रा और भारत में योगदान
विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया, और मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई शुरू की। वह जल्द ही कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और फिर ऑक्सफोर्ड गए, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। अपनी शिक्षा और विश्लेषणात्मक क्षमता के साथ, उन्होंने खुद को भारत के सबसे महत्वपूर्ण अर्थशास्त्रियों में से एक के रूप में स्थापित किया। इसके बाद, उनकी नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भारत के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचाया, और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समझ से भारत के आर्थिक क्षेत्र को नई दिशा दी।
मनमोहन सिंह का गाह गांव से जुड़ा हुआ दिल
मनमोहन सिंह के जीवन के तमाम संघर्षों और उपलब्धियों के बावजूद, गाह गांव उनके दिल में हमेशा एक विशेष स्थान रखता था। भले ही उन्होंने कभी गाह लौटने का निर्णय नहीं लिया, लेकिन उनकी यादें और उनका नाम वहां हमेशा जीवित रहेगा। अब, उनके निधन के बाद, गांव वाले चाहते हैं कि उनके परिवार से कोई गाह गांव का दौरा करे और उनके योगदान को याद करे।
गाह से लेकर दिल्ली तक का सफर
मनमोहन सिंह का जीवन एक संघर्ष और सफलता की कहानी है। विभाजन के समय गाह में बिताए गए उनके शुरुआती सालों से लेकर भारत में प्रधानमंत्री बनने तक, उनका सफर प्रेरणा देने वाला है। गांव के लोग आज भी गर्व महसूस करते हैं कि उनका एक लड़का भारत के सबसे बड़े पद तक पहुंचा और अपनी दूरदर्शिता और नेतृत्व से देश को एक नई दिशा दी।
मनमोहन सिंह के निधन ने सिर्फ गाह गांव को ही नहीं, बल्कि पूरे भारत को शोक में डुबो दिया है। उनके योगदान और उनके जीवन की प्रेरणा आज भी हमारे बीच जीवित रहेगी।


