पानी को तरसा पाकिस्तान! भारत को पत्र लिखकर सिंधु जल संधि पर लगाई ये गुहार
भारत द्वारा सिंधु जल संधि के निलंबन के फैसले से पाकिस्तान में जल संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि उसकी जल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा भारत से बहने वाली नदियों पर निर्भर है.

पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत से सिंधु जल संधि को निलंबित करने के अपने फैसले पर एक बार फिर विचार करने की अपील की है. सूत्रों के मुताबिक, भारत के विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखकर संधि को स्थगित करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई गई है. पाकिस्तान ने तर्क दिया है कि ये फैसला देश को जल संकट की ओर धकेल सकता है.
पहली बार निलंबित हुई सिंधु जल संधि
भारत द्वारा विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में बनी सिंधु जल संधि को पहली बार स्थगित किया गया है. इस संधि के तहत, पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) पर भारत का और पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का नियंत्रण तय किया गया था.
सरकार की तीन-स्तरीय योजना
जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा है कि सरकार ने अल्पकालिक, मध्यमकालिक और दीर्घकालिक तीन चरणों में योजना बनाई है जिससे पाकिस्तान तक जाने वाला पानी रोका जा सके. उन्होंने कहा कि हम ये सुनिश्चित करेंगे कि एक भी बूंद पानी बर्बाद ना हो.
'खून और पानी साथ नहीं बह सकते'- पीएम मोदी
संधि पर भारत के फैसले की पुष्टि करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने टेलीविज़न संबोधन में कहा कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते. आतंक और व्यापार एक साथ नहीं हो सकते. खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी वार्ता केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की वापसी पर ही होगी.
विदेश मंत्रालय ने जताई कड़ी आपत्ति
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सिंधु जल संधि को मित्रता और सद्भावना की भावना के तहत बनाया गया था. लेकिन पाकिस्तान ने इस भावना को सालों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर ध्वस्त किया है.
भारत के फैसले से पाकिस्तान की बढ़ी चिंता
सिंधु जल समझौते के निलंबन के बाद पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि उसकी कृषि, पेयजल आपूर्ति और जलविद्युत उत्पादन का बड़ा हिस्सा भारत से बहने वाली झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों पर निर्भर करता है. अगर भारत इन नदियों के जल को रोककर अपने इस्तेमाल में लाता है, तो पाकिस्तान में सिंचाई, पीने के पानी और बिजली उत्पादन पर गंभीर असर पड़ेगा. पहले से जल संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए ये स्थिति और भयावह हो सकती है. भारत की इस रणनीति से उसे तीन प्रमुख नदियों के जल पर ज्यादा नियंत्रण मिलेगा, जिससे पाकिस्तान की जल और आर्थिक सुरक्षा पर सीधा खतरा मंडराने लगा है.