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पाकिस्तान में न्यायपालिका बनाम सेना टकराव! प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की वर्दी तक फाड़ी

आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान में राजनीतिक और संवैधानिक संकट गहरा रहा है. पाकिस्तान में न्यायपालिका और कानूनी समुदाय के बीच भारी आक्रोश फैल गया है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. देश एक तरफ दो मोर्चों पर संघर्ष का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक और संवैधानिक संकट भी गहरा रहा है. ऐसे माहौल में सेना प्रमुख और फेल साबित हुए फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को असाधारण तरीके से ऊंचा दर्जा दे दिया गया है.

आसिम मुनीर को असीमित अधिकार

बताया जा रहा है कि संविधान में विशेष संशोधन कर उन्हें लगभग असीमित अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं. इस कदम के बाद पाकिस्तान में न्यायपालिका और कानूनी समुदाय के बीच भारी आक्रोश फैल गया है, जो इसे संविधान को कमजोर करने की साज़िश के रूप में देख रहे हैं.

कराची बार एसोसिएशन (केबीए) के वकीलों ने शनिवार को सिंध हाई कोर्ट (SHC) में 27वें संशोधन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. यह संशोधन सेना को और मजबूत कर अन्य संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने वाला माना जा रहा है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान वकीलों और पुलिस के बीच तीखी झड़प भी हुई. पुलिसकर्मियों ने आरोप लगाया कि कुछ वकीलों ने उनकी वर्दी तक फाड़ दी, जिससे तनाव और बढ़ गया.

संविधान में किए गए इस संशोधन के बाद फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट (FCC) का गठन किया गया है. विपक्ष ने संसद में इसका विरोध किया था, लेकिन सरकार ने इसे पारित कर दिया. विशेषज्ञ इसे सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम करने और सर्वोच्च न्यायिक अधिकार FCC को सौंपने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं. इस कदम से न्यायपालिका की स्वायत्तता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं.

संशोधन लागू होने के कुछ ही घंटों बाद, सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज अथर मिनल्लाह और मंसूर अली शाह ने विरोध जताते हुए इस्तीफा दे दिया था. जजों का कहना था कि यह बदलाव न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान की मूल संरचना के लिए खतरा है. इसके बाद से कानूनी समुदाय में विरोध की लहर तेज हो गई है.

वकीलों ने SHC परिसर के बाहर की नारेबाजी

शनिवार को वकीलों ने SHC परिसर के बाहर नारेबाजी करते हुए अपना विरोध शुरू किया और बाद में अंदर जाकर प्रदर्शन किया. झड़पों के बाद पुलिस पीछे हट गई और वकीलों को प्रदर्शन जारी रखने दिया गया. कुछ पुलिसकर्मियों को मामूली चोटें आईं, जबकि वकील सिंध हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के हॉल के भीतर बैठे रहे और सरकार के खिलाफ नारे लगाते रहे. परिसर में बिजली कटने के बाद उन्होंने बाहर आकर प्रदर्शन जारी रखा.

केबीए इससे पहले भी रिटायर्ड जजों के समर्थन में हड़ताल कर चुका है. हाल के दिनों में वकीलों ने लगातार कई दिन अदालतों का बहिष्कार किया, जिसके चलते न्यायिक कार्यवाही प्रभावित हुई. बार एसोसिएशन ने घोषणा की है कि आने वाले दिनों में भी प्रतिदिन टोकन स्ट्राइक जारी रहेगी.

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22 November 2025, 11:04 PM IST

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