रूस-यूक्रेन जंग के बीच पुतिन का बड़ा प्रस्ताव, मीटिंग को लेकर चर्चा तेज: रिपोर्ट
रूस और यूक्रेन के बीच संभावित शांति वार्ता को लेकर कूटनीतिक हलकों में हलचल तेज है. हालांकि मास्को ने पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच सीधे संवाद की संभावना को लेकर उत्साह कम होना चाहिए.

रूस और यूक्रेन के बीच संभावित शांति वार्ता को लेकर कूटनीतिक हलकों में हलचल तेज है. हालांकि मास्को ने मंगलवार को संकेत दिए कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच सीधे संवाद की संभावना को लेकर उत्साह कम होना चाहिए. यह स्थिति तब बनी जब पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई फोन वार्ता के बाद मीडिया में अटकलें बढ़ गईं.
बढ़ती अटकलें और पुतिन का सुझाव
रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने ज़ेलेंस्की के साथ रूस में एक निजी बैठक का सुझाव दिया था. यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया जब ज़ेलेंस्की और कई यूरोपीय नेता व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात कर रहे थे. हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस विचार को तुरंत गंभीरता से नहीं लिया गया और अगले ही दिन इसे मीडिया में अपेक्षा से अधिक तवज्जो मिल गई.
व्हाइट हाउस का रुख
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस संभावना को स्वीकारते हुए कहा कि पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच प्रत्यक्ष वार्ता पर चर्चा जारी है और कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने संभावित स्थान के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी. लेविट ने बताया कि दोनों नेता आमने-सामने बातचीत के इच्छुक हैं और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करेगी.
ट्रंप खुद इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाते दिख रहे हैं. उन्होंने व्हाइट हाउस की बैठक के दौरान पुतिन से फोन पर बात की और वहां मौजूद नेताओं से कहा कि पुतिन और ज़ेलेंस्की की मुलाकात की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. यहां तक कि उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से हॉट माइक पर कहा कि पुतिन उनके माध्यम से समझौता करना चाहते हैं.
क्रेमलिन का बयान और रूसी सतर्कता
बाद में क्रेमलिन ने पुष्टि की कि पुतिन और ट्रंप ने यूक्रेन मुद्दे पर बातचीत की है. क्रेमलिन सहयोगी यूरी उशाकोव के मुताबिक, दोनों राष्ट्रपतियों ने रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच सीधी वार्ता जारी रखने के पक्ष में राय रखी.
इसके बावजूद रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सावधानी बरतने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मास्को वार्ता के विचार को खारिज नहीं करता, लेकिन किसी भी शिखर सम्मेलन की तैयारी चरणबद्ध तरीके से होनी चाहिए. उनके मुताबिक, शुरुआत विशेषज्ञ स्तर से होकर धीरे-धीरे ऊंचे स्तर तक जानी चाहिए. यह रणनीति रूस की पुरानी नीति को दर्शाती है जिसमें वह खुलेपन का संकेत देता है लेकिन प्रक्रिया को लंबा खींचता है.
यूक्रेन का रुख और अमेरिका का समर्थन
दूसरी ओर, ज़ेलेंस्की ने वाशिंगटन में साफ किया कि उनका देश संवाद के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि अगले एक-दो हफ्तों में शिखर सम्मेलन की योजना किसी न किसी रूप में औपचारिक हो सकती है.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी पुतिन के संकेत का स्वागत किया. उनके अनुसार, यह तथ्य कि पुतिन मुलाकात के लिए तैयार हैं, अपने आप में महत्वपूर्ण है. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि समझौते तक पहुंचने से पहले अभी लंबा रास्ता तय करना होगा.
आगे की चुनौतियां
पुतिन ने हाल ही में अलास्का में ट्रंप से मुलाकात के दौरान रूस की पुरानी मांगों को दोहराया. उन्होंने कहा कि किसी भी स्थायी समझौते के लिए सबसे पहले संघर्ष के मूल कारणों का समाधान जरूरी है.
कुल मिलाकर, वार्ता की संभावना को लेकर उम्मीद और सतर्कता दोनों बनी हुई हैं. जहां यूक्रेन बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक है. वहीं, रूस ‘धीरे-धीरे और शर्तों के साथ’ आगे बढ़ने पर जोर दे रहा है. आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि ये चर्चाएं वास्तविक शांति वार्ता का रूप लेती हैं या फिर कूटनीतिक अटकलों तक सीमित रह जाती हैं.


