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कतर ने हटाया डूरंड लाइन का जिक्र, PAK में मची खलबली, ख्वाजा आसिफ बोले- अफगानिस्तान को खुश कर रहा कतर

Pakistan Qatar Diplomatic Dispute : कतर ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्षविराम बयान से डूरंड लाइन का उल्लेख हटा दिया, जिससे पाकिस्तान नाराज हो गया है. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इसे कूटनीतिक झटका बताया और कतर पर अफगानिस्तान को तुष्टिकरण का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि समझौता गुप्त रहेगा और केवल अफगान तालिबान से बातचीत हुई है, टीटीपी से नहीं. यह विवाद पाकिस्तान और कतर के बीच तनाव बढ़ाने वाला साबित हो सकता है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Pakistan Qatar Diplomatic Dispute : पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कतर द्वारा पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्षविराम को लेकर जारी किए गए बयान में बदलाव को कड़ा विरोध जताया है. कतर ने अपने आधिकारिक बयान से "सीमा" या डूरंड लाइन का उल्लेख हटा दिया है, जिसे पाकिस्तान दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है, जबकि अफगानिस्तान इसे कभी स्वीकार नहीं करता. इस बदलाव को पाकिस्तान ने कूटनीतिक रूप से बड़ा झटका माना है और इसे कतर की ओर से अफगानिस्तान के पक्ष में झुकाव बताया गया है.

डूरंड लाइन विवाद और कतर की रणनीति

डूरंड लाइन पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवादित सीमा है, जो दोनों देशों के रिश्तों में वर्षों से तनाव का कारण रही है. कतर द्वारा इस सीमा का उल्लेख हटाने से यह संकेत मिलता है कि कतर अफगानिस्तान के दृष्टिकोण को अधिक महत्व दे रहा है. क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दोहा की ओर से एक संतुलित कूटनीतिक नीति अपनाने की कोशिश हो सकती है, लेकिन पाकिस्तान इसे अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती के रूप में देख रहा है.

ख्वाजा आसिफ की तीखी प्रतिक्रिया और आरोप
ख्वाजा आसिफ ने कतर के बयान में बदलाव को स्पष्ट रूप से संघर्षविराम समझौते से असंबंधित बताया और आरोप लगाया कि कतर केवल अफगानिस्तान को खुश करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच जो समझौता हुआ है, वह गुप्त रखा जाएगा और सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. आसिफ ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें इस समझौते के सभी विवरणों की पूरी जानकारी नहीं है, जिससे उनके अपने अंदर भी असंतोष नजर आता है.

पाकिस्तान की कूटनीतिक चुनौती और टीटीपी से दूरी
पाकिस्तान ने इस बातचीत को केवल अफगान तालिबान के साथ माना है और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को इस प्रक्रिया से अलग रखा है. यह साफ किया गया है कि पाकिस्तान की बातचीत सिर्फ अफगान तालिबान तक सीमित है. ख्वाजा आसिफ ने इस बात पर जोर दिया कि टीटीपी के साथ कोई बातचीत नहीं हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान इस बातचीत में सीमाएं तय करने की कोशिश कर रहा है.

कतर और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव
कतर द्वारा बयान में इस तरह के संशोधन ने क्षेत्रीय कूटनीति में हलचल पैदा कर दी है. विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना पाकिस्तान और कतर के बीच बढ़ते तनाव का संकेत है, खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान तालिबान और अफगानिस्तान की स्थिरता को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव में है. पाकिस्तान कतर पर अफगान तालिबान को तुष्टिकरण का आरोप लगा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ सकती है.

यह पूरा घटनाक्रम पाकिस्तान की विदेशी नीति और क्षेत्रीय रणनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है. कतर के बयान में हुए इस संशोधन ने न केवल पाकिस्तान की सीमाओं की संवेदनशीलता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि क्षेत्रीय कूटनीति में नए समीकरण बन रहे हैं, जो भविष्य में भारत-पाकिस्तान-अफगानिस्तान त्रिकोण के राजनीतिक वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं.

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22 October 2025, 05:19 PM IST

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