हिंद-प्रशांत में नियम-आधारित व्यवस्था पर रोक, क्वाड बैठक में जयशंकर ने चीन को दिया सख्त संदेश
क्वाड बैठक में जयशंकर के संदेश ने न केवल भारत की स्थिति को स्पष्ट किया, बल्कि क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए क्वाड की साझा प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया.

Quad Meeting 2025: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में आयोजित क्वाड बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था को मजबूत करने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई. इस बैठक में उन्होंने चीन की आक्रामक नीतियों पर इनडायरेक्ट रूप से निशाना साधते हुए क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग के महत्व पर जोर दिया. क्वाड, जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, इस बैठक में क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनी-अपना राय को रेखांकित किया. जयशंकर ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत किसी भी ऐसी गतिविधि का विरोध करेगा जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था को कमजोर करती हो.
हम चीन के बड़े पड़ोसी हैं
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘हम ईमानदारी से यह देखना चाहेंगे कि इस दिशा में हमारे हित किस प्रकार आगे बढ़ते हैं. साथ ही ’उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कई मायनों में आप देख सकते हैं कि हमारी अमेरिका के साथ बहुत समानताएं हैं. साथ ही हम चीन के सबसे बड़े पड़ोसी हैं. हम उनके साथ भूमि सीमा साझा करते हैं. हम चीन के साथ स्थिर संबंध चाहते हैं.' विदेश मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि बीजिंग हमारा एक बहुत बड़ा व्यापारिक भागीदार है, भले ही यह व्यापार संतुलित नहीं है.
क्वाड की रणनीति और आरे की योजनाएं
इस बैठक में क्वाड देशों ने जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूत करने की योजना बनाई. भारत ने विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाने और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने पर जोर दिया. जयशंकर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि क्वाड केवल एक सैन्य गठबंधन नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय समृद्धि और सहयोग का प्रतीक है.
वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका
जयशंकर ने अपने संबोधन में भारत की वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि भारत न केवल अपने हितों की रक्षा के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी तैयार है. “हम एक ऐसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र चाहते हैं जो स्वतंत्र, खुला और समावेशी हो."


