बांग्लादेश में लहराया भगवा,156 दिन बाद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को मिली जमानत
बांग्लादेश हाई कोर्ट ने हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को 156 दिनों बाद जमानत दी, जो उनके और बांग्लादेश के हिंदू समुदाय की जीत मानी जा रही है. ये फैसला राजनीतिक उत्पीड़न का विरोध और सत्य की जीत के रूप में देखा जा रहा है.

बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को आखिरकार न्याय मिला है. बांग्लादेश हाई कोर्ट ने बुधवार को उन्हें जमानत दे दी, जो ना केवल एक व्यक्ति की कानूनी जीत है, बल्कि ये बांग्लादेश में रह रहे लाखों हिंदुओं की उम्मीदों की जीत भी मानी जा रही है. चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से ही बांग्लादेश में हिंदू समुदाय में गहरा आक्रोश था और उनकी जमानत ने उन लोगों के लिए एक सशक्त संदेश दिया है, जो बांग्लादेश में अपने अधिकारों और सुरक्षा की उम्मीद रखते हैं. इस घटना ने ये स्पष्ट कर दिया कि सत्य को दबाया नहीं जा सकता और न्याय एक ना एक दिन मिलता है, भले ही उसे प्राप्त करने में 156 दिन क्यों ना लग जाए.
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और आरोप
चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर 2022 को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने एक हिंदू रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था. हालांकि, इस आरोप को भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने न्यायिक उत्पीड़न करार दिया था. चिन्मय कृष्ण दास, जो कि ISKCON के पूर्व पुजारी रहे हैं, लंबे समय से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के खिलाफ मुखर आवाज रहे हैं. उनकी गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में तो विरोध हुआ ही, भारत में भी हिंदू समुदाय ने इस कदम का विरोध किया था.
जमानत को लेकर कानूनी लड़ाई
चिन्मय कृष्ण दास की जमानत के लिए पहले कई बार याचिकाएं दायर की गई, लेकिन वे खारिज कर दी गई. इस दौरान दास की तबीयत भी बिगड़ी थी और ये आरोप भी था कि उन्हें जेल में उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल रही थी. उनके वकीलों ने कोर्ट में ये तर्क रखा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं. अंततः बांग्लादेश हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को स्वीकार किया, जिससे एक उम्मीद की किरण जगी.
सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला
हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें हैं, क्योंकि कोर्ट का अपीलेट डिवीजन इस फैसले पर रोक भी लगा सकता है. चिन्मय कृष्ण दास के वकील ने बताया कि अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई रोक नहीं लगाई जाती, तो वो जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे.
भारत सरकार ने भी बांग्लादेश सरकार से चिन्मय कृष्ण दास की स्वास्थ्य स्थिति और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी. भारत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के समय में हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं और चिन्मय कृष्ण दास जैसे नेताओं को दबाने की कोशिश दोनों देशों के रिश्तों को और तनावपूर्ण बना रही है.


