बच्चा पैदा करो और पैसा पाओ...रूस में स्कूली छात्राओं को मां बनने के लिए मिल रहा प्रोत्साहन, जानिए वजह
रूस में जनसंख्या संकट और यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ती पुरुषों की कमी ने सरकार को एक चौंकाने वाली नीति अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है. अब देश के कई हिस्सों में स्कूली छात्राओं को मां बनने पर आर्थिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है. बिना शादी मां बनने वाली इन युवतियों को बच्चों के जन्म और पालन-पोषण के लिए लाखों रुपये की सरकारी मदद दी जा रही है.

रूस में जनसंख्या गिरावट और युद्ध के कारण बिगड़ते डेमोग्राफिक बैलेंस से जूझती सरकार ने एक चौंकाने वाली योजना शुरू की है. अब देश के कुछ हिस्सों में स्कूली छात्राओं को बिना शादी मां बनने पर आर्थिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है. इस योजना के तहत इन लड़कियों को बच्चे पैदा करने और पालन-पोषण के लिए 1 लाख रूसी रूबल (लगभग 1 लाख भारतीय रुपए) तक की आर्थिक मदद दी जा रही है. यह सब रूस की नई जनसंख्या नीति के तहत हो रहा है, जो पिछले कुछ महीनों से दस क्षेत्रों में लागू है.
इस नीति ने रूस को दो हिस्सों में बांट दिया है – एक जो इसे जनसंख्या बचाने की अहम कोशिश मानता है, दूसरा जो इसे नैतिक और सामाजिक दृष्टि से गंभीर खतरा बता रहा है. अब सवाल उठता है कि क्या ये योजना रूस को जनसंख्या संकट से उबारेगी या फिर और गहराएगी सामाजिक समस्याएं?
क्यों दी जा रही है स्कूली लड़कियों को मां बनने की छूट?
रूस में जन्म दर गिरकर 1.41 प्रति महिला हो गई है, जबकि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए यह दर 2.05 होनी चाहिए. यूक्रेन युद्ध ने इस संकट को और भी बढ़ा दिया है, जहां हजारों युवा पुरुष मारे गए या देश से पलायन कर गए. इससे भविष्य की पीढ़ी के लिए पिता कम हो गए हैं. ऐसे में रूस ने अब किशोरियों और युवतियों को भी मां बनने के लिए आर्थिक रूप से प्रोत्साहित करने का फैसला लिया है.
पहले महिलाओं के लिए थी योजना
पहले यह योजना केवल वयस्क, विवाहित महिलाओं के लिए शुरू की गई थी. लेकिन अब यह स्कूली उम्र की लड़कियों (18+) तक आ गई है. कुछ क्षेत्रों में शादीशुदा लड़कियों को भी बच्चा होने पर ‘मैटरनिटी कैपिटल’ मिलता है, जिसे घर खरीदने या शिक्षा में इस्तेमाल किया जा सकता है.
चर्च और राष्ट्रवादी संगठनों का मिला समर्थन
इस विवादास्पद योजना को रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च और राष्ट्रवादी संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है. हालांकि पारंपरिक रूप से रूसी चर्च विवाह से पहले मां बनने को गलत मानता रहा है, लेकिन जनसंख्या संकट को देखते हुए अब उसमें भी नरमी आ रही है. कई रिपोर्टों के मुताबिक, आर्थिक जरूरतों या पारिवारिक दबाव में आकर कई कम उम्र की लड़कियां बिना शादी मां बनने को तैयार हो रही हैं.
ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहा ट्रेंड
मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे बड़े शहरों में पहले से ही अविवाहित मातृत्व को समाजिक रूप से स्वीकार किया जाने लगा है. अब यह ट्रेंड धीरे-धीरे ग्रामीण और रूढ़िवादी इलाकों में भी पांव पसारने लगा है. आर्थिक प्रलोभन और सरकारी सहयोग ने इस ट्रेंड को हवा दी है.
मां बनने पर मिल रहा क्या सरकारी सपोर्ट?
रूस में स्कूली उम्र की लड़कियों को मां बनने पर मुफ्त मेडिकल सुविधा, डिलीवरी सपोर्ट और बच्चे के लिए शुरुआती वित्तीय मदद दी जाती है. बाद में उन्हें नियमित सरकारी भत्ता भी मिलता है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि सरकार ने इन बच्चों के दीर्घकालिक पालन-पोषण के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं बनाई है.
पिता की भूमिका: अक्सर अनुपस्थित
इन मामलों में अक्सर लड़के का नाम या भूमिका नहीं होती. कई बार तो लड़की खुद पिता की पहचान दस्तावेजों में दर्ज नहीं करवाती. बच्चे को केवल मां के नाम से ही पाला जाता है. यह एकल मातृत्व को दर्शाता है लेकिन इससे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी बढ़ सकती हैं.
बेबी बॉक्स सिस्टम: जब मां बच्चे को नहीं पाल सकती
रूस में कुछ जगह ‘बेबी बॉक्स’ जैसी व्यवस्था है जहां कोई भी मां गुप्त रूप से अपने नवजात शिशु को सुरक्षित स्थान पर छोड़ सकती है. यहां से बच्चा सरकारी अनाथालयों में भेज दिया जाता है. यह सिस्टम इसलिए बनाया गया ताकि नवजात को कूड़े में ना फेंका जाए.
पुतिन क्यों कर रहे हैं इतनी कोशिशें?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन देश की गिरती आबादी को राष्ट्रीय सुरक्षा और भविष्य के लिए खतरा मानते हैं. रूस की ताकत को बनाए रखने के लिए वे जनसंख्या को बढ़ाना जरूरी मानते हैं. यूक्रेन युद्ध के कारण करीब 2.5 लाख से अधिक सैनिक मारे जा चुके हैं और बड़ी संख्या में युवा रूस से पलायन कर गए हैं.
सिर्फ रूस ही नहीं, और भी देश अपना रहे ऐसे कदम
रूस ही अकेला देश नहीं है जो जनसंख्या वृद्धि के लिए महिलाओं को पैसे देने की नीति अपना रहा है. हंगरी, पोलैंड और अमेरिका जैसे देशों में भी तीन या उससे अधिक बच्चों के लिए टैक्स में छूट, मासिक भत्ता और एकमुश्त प्रोत्साहन दिया जाता है. एलन मस्क जैसे दिग्गज भी अधिक बच्चे पैदा करने को मानवता के लिए जरूरी मानते हैं.


