तालिबान की 'ड्रोन आर्मी' तैयार! अब पाकिस्तान पर मंडराया आसमानी खतरा
तालिबान ने एक खतरनाक सुसाइड ड्रोन आर्मी तैयार की है, जो पाकिस्तान के लिए नया सिरदर्द बन सकती है. यह ड्रोन सेना कराची, इस्लामाबाद या रावलपिंडी जैसे शहरों में भी हमला करने में सक्षम है. तालिबान इसे अफगान जमीन से ऑपरेट कर रहा है और इसका तेजी से विस्तार हो रहा है.

तालिबान अब सिर्फ अफगानिस्तान तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि उसने अपनी सैन्य ताकत को एक नए स्तर पर ले जाकर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने अफगानिस्तान में एक सुसाइड ड्रोन आर्मी तैयार कर ली है, जिसे वह एक नई ‘ड्रोन एयरफोर्स’ का नाम दे रहा है. इस फोर्स में कामिकेज (आत्मघाती) ड्रोन के साथ-साथ कुछ हेलीकॉप्टर भी शामिल किए गए हैं.
तालिबान की ड्रोन एयरफोर्स को लेकर रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये घातक ड्रोन कराची, रावलपिंडी या इस्लामाबाद जैसे पाकिस्तानी शहरों में कहीं भी हमला करने में सक्षम हैं. पाकिस्तान, जो पहले ही आतंरिक अस्थिरता, आतंकवाद और आर्थिक संकट से जूझ रहा है, अब अपने ही पड़ोसी से एक नए प्रकार के खतरे का सामना करने जा रहा है.
ब्रिटिश सैन्य बेस को बनाया टेस्टिंग ग्राउंड
इस ड्रोन प्रोग्राम की टेस्टिंग पूर्व ब्रिटिश एसएएस (स्पेशल एयर सर्विस) बेस में की जा रही है. रिपोर्ट में बताया गया कि तालिबान फिलहाल इस तकनीक को परखने के दौर में है, लेकिन जल्द ही यह पूरी तरह से ऑपरेशनल हो सकता है.
इंटरनेशनल इंजीनियरों की भर्ती की तैयारी
तालिबान का अगला कदम और भी डरावना है. संगठन अब इंटरनेशनल स्तर पर तकनीकी विशेषज्ञों और इंजीनियरों की भर्ती करेगा, ताकि वह इस ड्रोन प्रोजेक्ट को और बड़ा बना सके. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इनमें से एक इंजीनियर अल-कायदा से संबंध रखने वाला व्यक्ति है, जिस पर आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने का शक है.
ड्रोन वॉरफेयर का बढ़ता असर
रूस-यूक्रेन युद्ध ने साबित किया है कि अब जंग का तरीका बदल चुका है. जमीन पर सेना भेजने की जगह अब ड्रोन और मिसाइल से दुश्मन को मात दी जा रही है. यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस के कई एयरबेस तबाह कर दिए थे. भारत के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में भी ड्रोन की भूमिका अहम रही.
पश्चिमी देशों के लिए खतरे की घंटी
तालिबान की यह ड्रोन आर्मी सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी खतरे की घंटी है. एक आतंकी संगठन के हाथ में अत्याधुनिक सुसाइड ड्रोन होना वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है. आने वाले दिनों में यह ड्रोन फोर्स अफगानिस्तान की सीमाओं से बाहर कहर बनकर टूट सकती है.


