ब्रिटेन-फ्रांस समेत 4 देशों का बदला चेहरा,10 साल में क्यों गायब हुई ईसाईयों की पहचान?
दुनिया के 201 मान्यता प्राप्त देशों में अब केवल 120 देश ही ऐसे बचे हैं, जहां ईसाई धर्म के अनुयायी बहुसंख्यक हैं. वहीं, हिंदू देशों की बात करें तो सिर्फ दो देश इस श्रेणी में आते हैं, भारत और नेपाल. एक रोचक तथ्य यह है कि दुनिया की 95% हिंदू आबादी अकेले भारत में ही निवास करती है, जबकि बाकी 5% अन्य देशों में बिखरी हुई है.

Decline in Christian Population: जनसंख्या और धार्मिक समीकरणों को लेकर दुनियाभर में चर्चा तेज हो गई है. भारत में कई राजनीतिक हस्तियां बदलती आबादी और धर्म जनित असंतुलन को लेकर चिंता जाहिर करती रही हैं. हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और तमिलनाडु के राज्यपाल एन. रवि ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. इसी बीच, एक रिपोर्ट के ताजा अध्ययन ने वैश्विक स्तर पर ईसाई बहुल देशों की घटती संख्या को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.जहां उस रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच दुनिया में ईसाई बहुल देशों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. जहां 2010 में यह आंकड़ा 124 था, वहीं 2020 तक घटकर 120 पर आ गया. इसके पीछे कई सामाजिक और सांस्कृतिक कारण हैं, जिनमें धर्म छोड़ना, नास्तिकता की ओर झुकाव और घटती जनसंख्या वृद्धि दर प्रमुख हैं.
10 साल में कितने देश हुए 'गैर-ईसाई बहुल'?
रिपोर्ट बताती है कि जिन चार देशों में ईसाई अब बहुसंख्यक नहीं हैं, उनमें यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे शामिल हैं.यूके में अब सिर्फ 49% लोग ही खुद को ईसाई मानते हैं. ऑस्ट्रेलिया में यह आंकड़ा 47% पर सिमट गया है. फ्रांस में 46% लोग ईसाई हैं, जबकि उरुग्वे में मात्र 44% ईसाई जनसंख्या शेष है. उरुग्वे की बात करें तो यहां 52% आबादी अब किसी भी धर्म को नहीं मानती. यह ट्रेंड अन्य देशों में भी देखने को मिल रहा है.
धर्म न मानने वालों की तादाद
दुनिया के 5% देश ऐसे हैं जहां बहुसंख्यक आबादी किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखती. नीदरलैंड्स में 54% न्यूजीलैंड में 51% लोग अब किसी भी मजहब से जुड़ा होना नहीं चाहते. ये खुद को नास्तिक, अज्ञेयवादी या अनीश्वरवादी मानते हैं.
हिंदू बहुल देश कौन-कौन हैं?
ईसाई बहुल देशों की संख्या घटने के साथ ही यह सवाल भी उठता है कि हिंदू बहुल देश कितने हैं? तो भारत और नेपाल दुनिया के केवल दो ही देश हिंदू बहुल हैं. भारत में दुनिया के कुल 95% हिंदू निवास करते हैं, जबकि शेष 5% अन्य देशों में फैले हुए हैं.
वैश्विक जनसंख्या में हिंदुओं की स्थिति
विश्व की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की भागीदारी लगभग 15% है. हालांकि, धार्मिक बहुलता के आधार पर हिंदुओं की स्थिति बहुत सीमित है और यह दो देशों तक ही सिमटी हुई है. हाल के रुझान बता रहे हैं कि आने वाले वर्षों में कई देश ईसाई बहुलता की श्रेणी से बाहर निकल सकते हैं. यह बदलाव एक नई सामाजिक और सांस्कृतिक कहानी की शुरुआत कर सकता है. जनसांख्यिकीय बदलाव, युवा पीढ़ी का धर्म से मोहभंग और सामाजिक बदलाव इसके प्रमुख कारक होंगे.


