समंदर में बढ़ रही गर्मी, 1.7 अरब परमाणु विस्फोटों के बराबर, अगर नहीं रोका गया ये तो...
मानव गतिविधियों के कारण महासागरों में बढ़ती गर्मी और खनन से पर्यावरणीय संकट गहरा रहा है, जिससे समुद्री जीवन और वैश्विक मौसम पर गंभीर असर पड़ रहा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है.

इंसान के विकास और जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति के संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है, जिसका परिणाम अब धरती के पर्यावरण पर गंभीर असर डालने लगा है. समुद्र में खनन, महासागरों में ड्रिलिंग और धरती की गहराइयों में खनिजों की खुदाई जैसी इंसानी गतिविधियां ना सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि धरती के संतुलन को भी बिगाड़ रही हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों ने समुद्र में बढ़ती गर्मी के कारण आने वाले खतरे पर चिंता जताई है, जिससे वैश्विक पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो सकता है.
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पिछले 10 सालों में महासागरों ने 1.7 अरब परमाणु विस्फोटों के बराबर गर्मी सोखी है, जिससे पृथ्वी के वातावरण में अत्यधिक गर्मी समाई है. इस तापमान में वृद्धि का असर महासागरों की पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है और इससे समुद्री जीवन, तूफान और मौसम की गंभीर घटनाओं की संख्या बढ़ रही है.
समुद्र में बढ़ती गर्मी का प्रभाव
वैज्ञानिकों के अनुसार, महासागरों में हर सेकेंड उतनी ही गर्मी समा रही है, जितनी गर्मी पांच परमाणु बम फटने से उत्पन्न होती है. ये अत्यधिक गर्मी समुद्री जीवन को तबाह कर रही है, जिससे कई समुद्री प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं. समंदर का तापमान बढ़ने से जलीय जीवों के लिए जीना मुश्किल हो रहा है और पर्यावरणीय संकट गहरा हो रहा है. इस बढ़ती गर्मी का सीधा असर समुद्र में आने वाली तूफानों और जलवायु परिवर्तन की घटनाओं पर भी पड़ रहा है, जो पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं.
महासागरों में खनन और मानव गतिविधियां
फ्रांस के नीस शहर में आयोजित UN Ocean Conference में महासागर में खनिजों की लूट के कारणों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि समुद्र में खनन पर रोक लगाना अब समय की जरूरत है. हमें केवल वादे नहीं, बल्कि ठोस और कड़े नियम बनाने होंगे और उनकी सख्ती से पालन करना होगा. इसके साथ ही इमैनुएल मैक्रों, फ्रांस के राष्ट्रपति ने 2026 तक High Seas Treaty लागू करने की प्रतिबद्धता जताई और गहरे समुद्री खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की.
समुद्र की बर्फ पिघलने और वैश्विक प्रभाव
वैज्ञानिकों ने इस बात की भी चेतावनी दी है कि समुद्र की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे समुद्र-स्तर में वृद्धि हो सकती है. इसके कारण, बाढ़ और सूखे जैसी गंभीर मौसमी घटनाएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र, कृषि, पशु जीवन और मानव आबादी के लिए विनाशकारी साबित हो सकती हैं. इस संकट का समाधान तभी संभव है, जब दुनिया के सभी देश मिलकर एकजुट होकर इस संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं.


