कोई उम्मीद की किरण नहीं... फ्रांसीसी नागरिकों ने ईरानी जेल में बिताए तीन साल
मई 2022 से ईरान में बंदी बनाए गए फ्रांसीसी नागरिकों, सीसिल कोहलर और जैक पेरिस की बंदीगि के 3 साल पूरे हो गए हैं, जबकि उनकी स्थिति लगातार बिगड़ रही है और फ्रांस उनकी रिहाई के लिए संघर्ष कर रहा है.

मई 2022 से ईरान में बंदी बनाए गए फ्रांसीसी नागरिकों, सीसिल कोहलर और जैक पेरिस ने बुधवार को अपनी बंदीगि के 3 साल पूरे कर लिए. इन दोनों पर जासूसी का आरोप लगाया गया है, जिसे वे पूरी तरह नकारते हैं. ईरान की ईविन जेल में कठोर परिस्थितियों में बंदी ये फ्रांसीसी नागरिक अब भी अपनी स्वतंत्रता की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है.
सीसिल कोहलर और जैक पेरिस, जिन्हें ईरान में राजनीतिक कैदी के रूप में रखा गया है. उनके परिवारों का कहना है कि वे दिन-ब-दिन निराश हो रहे हैं और इनकी स्थिति अब भी बिगड़ी हुई है. उनकी उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं, क्योंकि ईरान से उन्हें कोई राहत मिलने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है. इसी बीच, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इनकी रिहाई के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है.
कठिन परिस्थितियां और मानसिक तनाव
सीसिल और जैक को एक अलग-अलग 'राजनीतिक कैदियों' के खंड में रखा गया है, जो तेहरान की प्रसिद्ध ईविन जेल में स्थित है. उन्हें हर वक्त बत्तियां जलती रखने के साथ-साथ हफ्ते में सिर्फ 30 मिनट बाहर निकलने की अनुमति दी जाती है. इन दोनों को अब तक 4 कांसुलर दौरे ही मिल पाए हैं, जो 3 सालों में बेहद कम हैं. सीसिल की बहन नोएमी कोहलर ने बातचीत के दौरान कहा कि ये बहुत कठिन है. हम थक चुके हैं, हमें कभी नहीं लगा था कि ये इतनी लंबी अवधि तक खिंच सकता है. सीसिल और जैक अब निराश हो रहे हैं और उनकी उम्मीदें घट रही हैं.
भारत और पश्चिमी देशों के बीच तनाव
सीसिल और जैक को ईरानी राज्य प्रसारण पर झूठे कबूलनामे करने के लिए मजबूर किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर उदाहरण है. नोएमी ने कहा कि वो कई महीनों से ये सुन रहे हैं कि फैसला बहुत जल्द आएगा और वो अत्यंत कठोर होगा, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ. फ्रांसीसी सरकार के अनुसार, ये दोनों नागरिक मानवाधिकारों के उल्लंघन का शिकार हो रहे हैं और इनकी हालत अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत यातना के बराबर है. फ्रांस ने इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय अदालत में ले जाने का वादा किया है, लेकिन इस केस की सुनवाई में जल्दी सुधार होने की उम्मीद नहीं है.
फ्रांस की संघर्ष जारी
फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो ने इस मामले पर कहा कि सीसिल और जैक का मुद्दा हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है. हम उन्हें जल्द से जल्द रिहा करने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं. हम उन्हें 'राजनीतिक बंधक' मानते हैं और ईरानी शासन के पीड़ित मानते हैं. ईरान और फ्रांस के रिश्ते हाल के दिनों में तनावपूर्ण हो गए हैं, विशेष रूप से ईरानी परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय चिंता के बीच. फ्रांसीसी सरकार ने ईरान से अपने नागरिकों की सुरक्षित रिहाई के लिए हर संभव प्रयास जारी रखने की बात कही है.
यूरोपीय नागरिकों की हालत
सीसिल और जैक के अलावा, ईरान में और भी यूरोपीय नागरिक बंदी हैं. इनमें से एक अहमदरेज़ा जलाली, जो एक ईरानी-स्वीडिश अकादमिक हैं, जिसे ईरान में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जलाली को 2017 में मौत की सजा दी गई थी, जबकि उनके परिवार का दावा है कि आरोप झूठे हैं. फ्रांस का कहना है कि ये मामला ईरान के खिलाफ एक गंभीर चिंता का विषय है और उनकी सरकार हर हाल में इन दोनों नागरिकों की सुरक्षित रिहाई के लिए संघर्ष करती रहेगी.


