चांद पर भी अब है रियल एस्टेट की होड़, जानिए कैसे खरीद सकते हैं जमीन!
आज जब वैज्ञानिक चांद पर जीवन की संभावनाएं तलाश रहे हैं, वहीं कुछ प्राइवेट कंपनियां चांद पर जमीन बेचने का दावा कर रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है—क्या चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है? असल में यह खरीददारी प्रतीकात्मक होती है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत किसी भी व्यक्ति या देश को चांद पर मालिकाना हक नहीं मिल सकता. फिर भी यह एक अनोखा गिफ्ट ट्रेंड बन चुका है.

हाल के वर्षों में चांद पर जमीन खरीदने को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला है. बॉलीवुड सेलिब्रिटीज से लेकर आम लोग तक अब चांद पर प्लॉट खरीदने की ख्वाहिश जता रहे हैं. यही नहीं, शाहरुख खान को उनके एक फैन ने चांद पर प्लॉट गिफ्ट में दिया था, जिससे इस ट्रेंड को और भी बढ़ावा मिला.
चांद पर जमीन की कीमत प्लॉट के साइज और लोकेशन के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आमतौर पर एक एकड़ जमीन की कीमत करीब $20 से $30 (लगभग 1,500 से 2,500 रुपये) तक होती है. यानी एक छोटा सा प्लॉट बहुत कम कीमत पर खरीदा जा सकता है, लेकिन इसका कोई कानूनी स्वामित्व अधिकार नहीं होता, यही वजह है कि ये एक प्रतीकात्मक और इमोशनल गिफ्ट के रूप में ज्यादा लोकप्रिय है.
कैसे खरीद सकते हैं चांद पर जमीन?
चांद पर जमीन बेचने का दावा करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर मौजूद हैं, जैसे कि Lunar Embassy या Lunar Registry. इन वेबसाइट्स पर जाकर आप कुछ आसान स्टेप्स में चांद पर जमीन खरीद सकते हैं:
वेबसाइट पर जाएं और प्लॉट का साइज चुनें
अपनी डिटेल्स भरें
पेमेंट करें (क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड या पेपाल से)
पेमेंट के बाद आपको एक “लूनर डीड” (Lunar Deed), एक नक्शा और एक सर्टिफिकेट मिलता है
क्या चांद पर जमीन खरीदना कानूनी है?
असल में, 1967 के Outer Space Treaty के मुताबिक कोई भी देश या व्यक्ति चांद या किसी भी अंतरिक्ष पिंड पर कानूनी रूप से स्वामित्व नहीं रख सकता. यानी चांद पर जमीन खरीदने का कोई कानूनी आधार नहीं है. यह एक प्रतीकात्मक सौदा है जिसे लोग खास गिफ्ट या यादगार के रूप में लेते हैं.
चांद पर जमीन खरीदना अनोखा अनुभव
चांद पर जमीन खरीदना अभी एक रोमांचक और अनोखा अनुभव है, लेकिन इसका कानूनी स्वामित्व नहीं होता. यह एक भावनात्मक या प्रतीकात्मक उपहार के रूप में जरूर खास है, लेकिन भविष्य में चांद पर वास्तविक संपत्ति खरीदने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों में बदलाव की आवश्यकता होगी.


