बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को मिटाने की साजिश? 2 लाख हिंदू-बौद्धों के नरसंहार की धमकी
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा के बीच चटगांव के राउजान में हिंदू-बौद्ध समुदाय के नरसंहार की धमकी वाला बैनर मिलने से दहशत फैल गई है.

बांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या के बाद हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इस घटना के बाद से देश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बीच भय का माहौल और गहरा हो गया है. चटगांव के राउजान उपजिला से सामने आए एक बैनर ने हालात को और ज्यादा चिंताजनक बना दिया है. इस बैनर में हिंदू और बौद्ध समुदाय के करीब दो लाख लोगों को मारने की साजिश का दावा किया गया है. पुलिस ने इस आपत्तिजनक बैनर को जब्त कर लिया है.
बैनर कहां बरामद हुआ?
बताया जा रहा है कि यह बैनर उसी इलाके से बरामद हुआ है, जहां मंगलवार को हिंदू समुदाय के कई घरों में आगजनी की गई थी. इस घटना में कथित तौर पर लोगों को जिंदा जलाने की कोशिश भी की गई. बांग्लादेशी सम्मिलित सनातनी जागरण जोट के प्रतिनिधि कुशल बरुण चक्रवर्ती ने कहा कि उन्होंने हिंसा से प्रभावित हिंदू परिवारों से मुलाकात की है.
उनके अनुसार, बैनर में लिखा गया था कि हिंदू और बौद्ध समुदाय को पूरी तरह खत्म करने की योजना बनाई गई है और इसके लिए फंडिंग तक की बात कही गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कट्टरपंथी तत्व उस्मान हादी की हत्या के लिए बिना किसी ठोस सबूत के भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और इसी बहाने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है.
स्थानीय मीडिया और पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बैनर में बेहद भड़काऊ और डर पैदा करने वाली भाषा का इस्तेमाल किया गया था. इसमें अल्पसंख्यकों के अस्तित्व को मिटाने और इलाके को ‘साफ’ करने जैसे शब्द लिखे गए थे. पुलिस को आशंका है कि बैनर और हालिया आगजनी की घटनाओं के बीच सीधा संबंध हो सकता है. अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के पोस्टर सिर्फ धमकी नहीं, बल्कि संगठित हिंसा की मानसिक तैयारी का संकेत भी हो सकते हैं.
चार हिंदुओं की हत्या की खबरें
आंकड़ों पर नजर डालें तो दिसंबर महीने में ही अब तक चार हिंदुओं की हत्या की खबरें सामने आ चुकी हैं. 7 दिसंबर को जोगेश चंद्र रॉय और उनकी पत्नी सुबर्णा रॉय की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. 18 दिसंबर को भालुका में दीपू चंद्र दास को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और शव को जला दिया गया. इसी महीने राजबाड़ी जिले में अमृत मंडल नामक युवक की भी हिंसक मौत हुई. लगातार हो रही इन घटनाओं और अब नरसंहार की धमकी वाले बैनर ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है- क्या बांग्लादेश में अल्पसंख्यक होना अब असुरक्षित हो गया है?


