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ट्रंप ने गिराया तबाही का 'बम', लेकिन ईरान बोला-अभी 'खेल' खत्म नहीं हुआ!

  NATO सम्मेलन के दौरान मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट कहा कि अगर ईरान ने फिर से परमाणु समृद्धि शुरू की तो अमेरिका दोबारा हमला करेगा। उन्होंने हालिया स्ट्राइक्स को हिरोशिमा जैसे हमले से जोड़ा, लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टें उनके दावों को लेकर बड़े सवाल खड़े कर रही हैं।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशनल न्यूज. ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद भले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे "हिरोशिमा जैसा निर्णायक वार" बताया हो, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरें और अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट अब इस दावे पर सवाल खड़े कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, फार्दो और नतांज पर किए गए GBU-57 बम हमलों से ईरान की यूरेनियम संवर्धन सुविधाओं को केवल कुछ महीनों का नुकसान हुआ है, ना कि दशकों का। ईरान ने खुद यह साफ किया है कि वह अपनी परमाणु क्षमताओं को छिपाने में कामयाब रहा और "खेल अभी खत्म नहीं हुआ" जैसा बयान देकर अगली रणनीति का संकेत दे दिया। अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी के अनुसार, कई अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम भंडार पहले ही स्थानांतरित कर दिए गए थे. 

इससे मुख्य नुकसान टला। वहीं, व्हाइट हाउस ने इस खुफिया रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि "जब 30,000 पाउंड के बम सटीक गिरते हैं, तो तबाही पूरी होती है"। दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र की IAEA टीम ने अभी कोई औपचारिक निरीक्षण नहीं किया है, जिससे तस्वीर और धुंधली बनी हुई है। ऐसे में ट्रंप की "ओब्लिटरेशन" थ्योरी और ईरान की "बचाव रणनीति" के बीच अब भू-राजनीतिक संघर्ष और गहरा गया है।  

ट्रंप का 'हिरोशिमा' दावा

ट्रंप ने कहा कि ईरान पर किया गया अमेरिकी हमला “हिरोशिमा जैसा” था। उनका दावा है कि ईरान का न्यूक्लियर कार्यक्रम पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। उन्होंने इसे "स्पेक्टैक्युलर मिलिट्री सक्सेस" बताया। इस बयान ने दुनिया भर में हड़कंप मचा दिया। लेकिन क्या यह सिर्फ पॉलिटिकल ओवरस्टेटमेंट है?

 हमले की टेक्निकल डिटेल्स

यूएस बी2 बॉम्बर्स ने Fordow और Natanz पर GBU-57 बम गिराए। Isfahan पर 30 टॉमहॉक मिसाइलें अमेरिकी पनडुब्बी से दागी गईं। ये हमले सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नहीं, मनोबल पर भी थे। अमेरिकी सेना ने ऑपरेशन को पूरी तरह सफल बताया। लेकिन क्या यह ग्राउंड रियलिटी से मेल खाता है?

डीआईए रिपोर्ट का खुलासा

पेंटागन के खुफिया एजेंसी ने कहा—परमाणु साइट्स को पूरी तरह तबाह नहीं किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि ईरान का समृद्ध यूरेनियम स्टॉक ज़्यादातर बचा हुआ है। सेंट्रीफ्यूज भी "काफी हद तक सुरक्षित" हैं। नतीजा: न्यूक्लियर प्रोग्राम को कुछ महीने पीछे ज़रूर किया, खत्म नहीं। व्हाइट हाउस ने रिपोर्ट को नकार दिया है।

खेल अभी खत्म नहीं हुआ

ईरानी सरकार ने कहा—“खेल खत्म नहीं हुआ”। उन्होंने दावा किया कि ज़रूरी न्यूक्लियर संपत्ति पहले ही ट्रांसफर की जा चुकी थी। अटॉमिक एनर्जी प्रमुख ने कहा कि डैमेज कंट्रोल की तैयारी पहले से थी। उत्पादन जल्द फिर से शुरू किया जाएगा। तेहरान ने इसे अस्तित्व की लड़ाई कहा।

ईरान का परमाणु प्रोजेक्ट तबाह कर दिया-नेतन्याहू

इज़रायली सेना ने कहा कि यह ऑपरेशन “कार्यक्रम को वर्षों पीछे धकेलने” में सफल रहा। इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि “हमने ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया।” हालांकि, सैन्य प्रवक्ता ने माना—अभी पूरी तरह आंकलन करना जल्दबाज़ी होगी। सहयोगी देश अमेरिका के साथ रणनीतिक तालमेल पर संतोष जताया गया।

यूरोपीय संघ ने संयम की अपील की

IAEA प्रमुख ग्रॉसी ने कहा कि अभी असल मूल्यांकन बाकी है। एजेंसी को साइट्स पर वापस भेजने की कोशिश जारी है। यूरोपीय संघ ने संयम की अपील की। चीन और रूस ने अमेरिका की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टकराव की आशंका बनी हुई है।

निर्णायक होगा अमेरिका का अगला कदम

ट्रंप का संदेश साफ है—ईरान दुबारा कोशिश करेगा तो हमला दोहराया जाएगा। लेकिन कई जानकारों का कहना है कि इस बयान के पीछे घरेलू राजनीति भी काम कर रही है। कूटनीति और सैन्य शक्ति के बीच अमेरिका का अगला कदम निर्णायक होगा। इस बार दांव सिर्फ मध्यपूर्व नहीं, वैश्विक स्थिरता भी है। चुनाव से पहले ट्रंप के ऐसे बयान सियासी रूप से भी अहम हैं।

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25 June 2025, 06:03 PM IST

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