ट्रंप के फैसले ने बढ़ाई भारतीय महिलाओं की टेंशन! नागरिकता प्रस्ताव ने बढ़ाई वैकल्पिक सी-सेक्शन की मांग, क्या यह सुरक्षित है?
US Birthright Citizenship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को एक अहम घोषणा की, जिसके बाद भारतीय महिलाओं में चिंताएं बढ़ गई हैं. ट्रंप के प्रस्ताव के तहत, 20 फरवरी से अमेरिकी नागरिकता पाने का अधिकार सिर्फ उन्हीं बच्चों को मिलेगा, जिनके माता-पिता स्थायी निवासी होंगे. इस फैसले के बाद, गर्भवती भारतीय महिलाएं सिजेरियन सेक्शन कराने की मांग कर रही हैं, ताकि उनका बच्चा नागरिकता की पात्रता पूरी कर सके.

US Birthright Citizenship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को एक ऐतिहासिक घोषणा की, जिससे भारतीय महिलाओं के बीच चिंता की लहर दौड़ गई. ट्रंप ने बताया कि वे 20 फरवरी से अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के तहत जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने की योजना बना रहे हैं. इस घोषणा के बाद, वे महिलाएं, जो गर्भावस्था के आठवें या नौवें महीने में हैं, अमेरिकी नागरिकता पाने की उम्मीद में वैकल्पिक सी-सेक्शन (C-section) कराने की मांग कर रही हैं. हालांकि, यह प्रक्रिया मेडिकल विशेषज्ञों के लिए एक बड़ा सवाल बन चुकी है.
साल 1868 में अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन ने जन्मसिद्ध नागरिकता की स्थापना की थी, जिसके तहत अमेरिका में जन्मे हर बच्चे को नागरिकता का अधिकार मिला था. ट्रंप के प्रस्ताव के बाद, अब जिन लोगों के पास स्थायी निवासी का दर्जा नहीं है, उनके बच्चों को जन्म के समय नागरिकता नहीं मिलेगी. यह निर्णय खासतौर पर उन भारतीय महिलाओं के लिए चिंता का कारण बन गया है, जो अमेरिका में अपने बच्चे के जन्म से पहले इस नियम को लागू होने से पहले सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुन रही हैं.
सिजेरियन सेक्शन और नागरिकता की उम्मीद
रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप के इस प्रस्ताव के बाद, अमेरिका में गर्भावस्था के आखिरी महीनों में पहुंचने वाली भारतीय महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है. ये महिलाएं अब अपने बच्चे को जन्म देने के लिए 20 फरवरी से पहले सिजेरियन सेक्शन कराने की योजना बना रही हैं, ताकि उनका बच्चा जन्म के समय अमेरिकी नागरिकता के योग्य हो. इस प्रक्रिया को लेकर डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच चिंता की लहर है, क्योंकि यह निर्णय अक्सर मेडिकल कारणों से नहीं, बल्कि नागरिकता की उम्मीद में लिया जाता है.
मेडिकल विशेषज्ञों का मत
इस मामले पर स्त्री रोग विशेषज्ञों और प्रसूति विशेषज्ञों का कहना है कि ऐच्छिक सिजेरियन (elective C-section) केवल तब किया जाना चाहिए जब इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर न हो. इस मामले में डॉक्टर्स का कहना है कि ऐच्छिक सिजेरियन एक पूरी तरह से वैध प्रक्रिया हो सकती है, बशर्ते इसे अनुभवी डॉक्टर द्वारा किया जाए और रोगी को इसके सभी संभावित जोखिमों और लाभों के बारे में पूरी जानकारी दी जाए. हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि नागरिकता के कारण किसी के लिए यह प्रक्रिया कराना एक नैतिक समस्या उत्पन्न कर सकता है.
वैकल्पिक सी-सेक्शन के जोखिम
सी-सेक्शन के कई संभावित जोखिम हो सकते हैं, जिनसे माता और शिशु दोनों प्रभावित हो सकते हैं.
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शिशु के लिए जोखिम: श्वसन संकट सिंड्रोम, मस्तिष्क रक्तस्राव, और संज्ञानात्मक विकास में देरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
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मां के लिए जोखिम: सर्जिकल जटिलताओं जैसे कि रक्तस्राव और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, अगली गर्भावस्था में सिजेरियन डिलीवरी की संभावना भी अधिक हो सकती है.
क्या यह कानूनी है?
कानूनी दृष्टिकोण से, अधिकांश देशों में ऐच्छिक सी-सेक्शन की अनुमति है, लेकिन यह तब तक वैध है जब तक यह स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों और नैतिक चिकित्सा प्रथाओं के अनुरूप हो. भारत में इस प्रक्रिया के लिए कोई विशेष कानून नहीं हैं, लेकिन चिकित्सक नैतिक और पेशेवर दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इस तरह की प्रक्रिया पर कोई स्पष्ट कानूनी रोक नहीं है, लेकिन यदि इस प्रक्रिया में कोई जटिलता उत्पन्न होती है, तो इसे लापरवाही के तहत चुनौती दी जा सकती है.
चिकित्सा प्रोटोकॉल और सिफारिशें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसायटी संघ (FOGSI) ने अनुशंसा की है कि गर्भावस्था के 39 सप्ताह से पहले बिना चिकित्सा कारणों के सी-सेक्शन नहीं किया जाना चाहिए. इसके अलावा, डॉक्टरों को यह सलाह दी जाती है कि वे इस प्रक्रिया को करने से पहले पूरी तरह से चिकित्सा मूल्यांकन और परामर्श करें.


