तुर्की के विश्वासघात की कहानी, जिसने अंग्रेजों को पहुंचाया भारत तक, आज पाकिस्तान को दे रहा हथियार
Turkey की कमजोरी ने British राज को भारत पर कब्ज़ा करने का रास्ता दिया। आज वही तुर्की Pakistan का हथियार सप्लायर बन चुका है। इतिहास ने दिशा बदली, अब भारत को अपनी सुरक्षा और ताकत पर पूरा ध्यान देना होगा।

इंटरनेशनल न्यूज. आज तुर्की और भारत के रिश्ते पाकिस्तान की वजह से तनाव में हैं. लेकिन अगर इतिहास की परतें खोलें तो एक चौंकाने वाला सच सामने आता है—अगर 19वीं सदी में तुर्की का साम्राज्य कमजोर न हुआ होता, तो ब्रिटेन को भारत में घुसने का रास्ता ही न मिलता. 1830 के दशक में तुर्क साम्राज्य यानी Ottoman Empire को यूरोपीय देश ‘बीमार आदमी’ कहने लगे थे. उसकी सामरिक और आर्थिक शक्ति डगमगाने लगी थी. इसी गिरावट ने ब्रिटिश साम्राज्य को मजबूर कर दिया कि वो भारत तक पहुंचने का नया रास्ता खोजे. क्योंकि तुर्की उस समय एशिया और यूरोप के बीच सबसे अहम रास्ता था.
कैसे कमजोर तुर्की बना भारत पर ब्रिटिश राज की नींव
जब तुर्की में अस्थिरता बढ़ी, तो अंग्रेजों ने समुद्री मार्ग से भारत तक सीधा रास्ता चुना. यही वह मोड़ था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने व्यापार की आड़ में भारत में घुसपैठ शुरू की और धीरे-धीरे सत्ता हथिया ली. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर तुर्की उस समय मज़बूत रहता, तो अंग्रेजों को भारत पर कब्ज़े का रास्ता शायद ही मिलता.
एक वक़्त था जब भारत ने तुर्की के लिए उठाई थी आवाज़
आज तुर्की भले पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखता हो, लेकिन एक दौर था जब भारत की जनता तुर्की के समर्थन में खड़ी थी. खिलाफ़त आंदोलन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां भारतीय मुस्लिमों ने ओटोमन खलीफा को हटाने के विरोध में आंदोलन किया था. पंडित नेहरू खुद मुस्तफा कमाल अतातुर्क की प्रशंसा करते थे. भारत और तुर्की के बीच वैचारिक और ऐतिहासिक संबंध गहरे थे. लेकिन वर्तमान में तस्वीर बदल चुकी है. पाकिस्तान की सेना तुर्की में बने ड्रोन, मिसाइल और हथियारों का उपयोग कर रही है. इससे भारत की जनता में नाराजगी है और सोशल मीडिया पर 'Boycott Turkey' जैसे ट्रेंड्स देखने को मिले.
इतिहास सिखाता है—रिश्ते स्थायी नहीं होते
आज तुर्की है, कल चीन और परसों अमेरिका—दुनिया में दोस्ती और दुश्मनी का सिलसिला लगातार बदलता रहता है। आज जो आपका मित्र होता है, वह कल आपका विरोधी बन सकता है, यह कोई निश्चित नहीं कह सकता। इस अनिश्चितता की दुनिया में भारत के लिए सबसे जरूरी है आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना। पुराने रिश्तों या किसी बाहरी शक्ति पर निर्भर रहने की बजाय अब भारत को अपने दम पर खड़ा होना होगा। अपनी ताकत, अपनी तकनीक और अपने संसाधनों पर भरोसा करना होगा। यही रास्ता है जो भारत को स्थिरता और सुरक्षा देगा। इसलिए, देश को चाहिए कि वह न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बने, बल्कि विज्ञान, तकनीक और रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता हासिल करे। समय की मांग यही है कि भारत अपनी ताकत को पहचान कर खुद को दुनिया के बदलते हालात के लिए तैयार करे।


