ईरान में मचा घमासान...2022 के बाद सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन, सड़कों पर उतरे लोग, बाजार बंद, जानें पूरा मामला
ईरान में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल के ऐतिहासिक रूप से कमजोर होने के बाद देशभर में बड़े विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. तेहरान सहित कई शहरों में लोग सड़कों पर उतरे और बाजार बंद रहे. हालात काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया. आर्थिक संकट, महंगाई और नीतिगत फैसलों ने जनता की नाराजगी बढ़ा दी है.

नई दिल्ली : ईरान में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले राष्ट्रीय मुद्रा रियाल के ऐतिहासिक रूप से कमजोर होने के बाद देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. राजधानी तेहरान समेत कई प्रमुख शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. हालात इतने बिगड़ गए कि कुछ इलाकों में पुलिस को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा.
कई शहरों में फैला आंदोलन
सेंट्रल बैंक प्रमुख का इस्तीफा
प्रदर्शनों के तेज होने के बीच ईरान के सेंट्रल बैंक के प्रमुख मोहम्मद रज़ा फ़र्ज़िन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब सरकार पर आर्थिक बदहाली को संभालने का जबरदस्त दबाव है और जनता लगातार जवाब मांग रही है.
2022 के बाद सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन
सोमवार को हुआ यह विरोध प्रदर्शन वर्ष 2022 के बाद सबसे बड़ा माना जा रहा है. उस समय 22 वर्षीय महसा जीना अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद पूरे देश में व्यापक आंदोलन हुआ था. उन्हें कथित तौर पर हिजाब सही तरीके से न पहनने के आरोप में नैतिक पुलिस ने हिरासत में लिया था, जिसके बाद जनता का गुस्सा फूट पड़ा था.
राष्ट्रपति ने संवाद की अपील की
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन ने हालात पर प्रतिक्रिया देते हुए अपनी सरकार से प्रदर्शनकारियों की “वाजिब मांगों” को गंभीरता से सुनने की बात कही है. उन्होंने आंतरिक मामलों के मंत्री को निर्देश दिया है कि वे प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत करें और समस्याओं के समाधान के लिए जिम्मेदारी से कदम उठाएं.
रियाल की गिरावट ने बढ़ाई महंगाई
ईरान की मुद्रा हाल ही में डॉलर के मुकाबले 14.2 लाख रियाल तक गिर गई थी, जबकि सोमवार को यह करीब 13.8 लाख रियाल पर कारोबार कर रही थी. मुद्रा के तेजी से कमजोर होने से महंगाई और बढ़ गई है. खाद्य सामग्री और रोजमर्रा की जरूरतों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे आम परिवारों का बजट बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
टैक्स और ईंधन कीमतों की आशंका से बढ़ी चिंता
सरकारी मीडिया में यह खबर भी सामने आई है कि 21 मार्च से शुरू होने वाले ईरानी नववर्ष में सरकार करों में बढ़ोतरी कर सकती है. इसके अलावा हाल में ईंधन की कीमतों में बदलाव से भी जनता में नाराजगी बढ़ी है, जिससे आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है.
2015 में ईरानी रियाल की कीमत 32,000 प्रति डॉलर
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में परमाणु समझौते के समय ईरानी रियाल की कीमत लगभग 32,000 प्रति डॉलर थी. यह समझौता 2018 में उस समय टूट गया, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इससे अलग कर लिया. इतिहास में यह भी देखा गया है कि 1979 की इस्लामिक क्रांति में ईरान के व्यापारियों ने अहम भूमिका निभाई थी, जिसने राजशाही का अंत कर दिया था.


