संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में इजरायल पर गाजा में नरसंहार का आरोप, PM नेतन्याहू समेत शीर्ष अधिकारियों को बताया जिम्मेदार
संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र जांच आयोग ने इजरायल पर गाजा में नरसंहार करने का आरोप लगाया है, जिसमें प्रधानमंत्री नेतन्याहू समेत शीर्ष अधिकारियों की संलिप्तता बताई गई है. रिपोर्ट में हत्या, मानसिक उत्पीड़न और जीवन की दुर्दशा जैसी चार गंभीर घटनाओं का हवाला दिया गया है. इजरायल ने इस रिपोर्ट को झूठा और पक्षपातपूर्ण बताया है, जबकि मामला पहले से ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चल रहा है.

Israel Gaza War : संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र जांच आयोग ने एक विस्तृत रिपोर्ट में दावा किया है कि इजरायल ने गाजा में नरसंहार किया है और इसके लिए देश की शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलंट और राष्ट्रपति आइजक हर्ज़ोग को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है. आयोग की अध्यक्ष और पूर्व अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की जज नवी पिल्लई ने जिनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गाजा में जो हो रहा है, वह “नैतिक रूप से निंदनीय और कानूनी आपातकाल” है.
कानूनी परिभाषा के तहत चार अपराधों की पुष्टि
इजरायल ने रिपोर्ट को बताया 'झूठा और घृणास्पद'
इजरायल ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है. राष्ट्रपति आइजक हर्ज़ोग ने कहा कि यह आयोग हमास के अत्याचारों को नजरअंदाज कर इजरायल को दोषी ठहरा रहा है और यह "नैतिक रूप से दिवालिया हो चुकी सोच" है. वहीं, जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के लिए इजरायली राजदूत डैनियल मेरॉन ने रिपोर्ट को “हिंसक और झूठा प्रलाप” कहा और इसे “हमास समर्थकों द्वारा तैयार किया गया एक पक्षपातपूर्ण दस्तावेज़” बताया.
पहले से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चल रहा है नरसंहार का मामला
गौरतलब है कि इज़रायल पहले से ही हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में एक नरसंहार के मामले का सामना कर रहा है. गाज़ा में 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद शुरू हुई इस लड़ाई में अब तक 64,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं. साथ ही, गाज़ा के कई क्षेत्रों में अकाल जैसी स्थिति पैदा हो चुकी है. इज़रायल इन सब आरोपों को खारिज करते हुए इसे आत्मरक्षा का अधिकार बता रहा है.
अंतरराष्ट्रीय दबाव में इजरायल और बढ़ेगा
हालांकि यह आयोग संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र इकाई है और संयुक्त राष्ट्र महासभा की आधिकारिक राय को नहीं दर्शाता, लेकिन इसकी रिपोर्ट का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी असर पड़ने वाला है. रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि गाज़ा में जो हो रहा है, वह सिर्फ सैन्य संघर्ष नहीं, बल्कि एक मानवाधिकार आपदा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब और अनदेखा नहीं कर सकता.


