टीचर के पैर न छूना छात्रों को पड़ा भारी, शिक्षिका ने 31 बच्चों को बुरी तरह पीटा...अस्पताल में भर्ती हुए कई स्टूडेंट्स

ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका सुकांति कर ने पैर न छूने पर 31 छात्रों को बांस की छड़ी से पीटा. घटना में कई छात्र घायल हुए, एक का हाथ टूट गया और एक बच्ची बेहोश हो गई. मामले की जांच में दोषी पाए जाने पर शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया. ओडिशा में 2004 से शारीरिक दंड पर पूर्ण प्रतिबंध है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Odisha Teacher Suspended : ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक सरकारी स्कूल की सहायक शिक्षिका सुकांति कर को निलंबित कर दिया गया है. आरोप है कि उन्होंने पैर न छूने पर 31 छात्रों को बांस की छड़ी से पीटा. यह घटना 11 सितंबर को खांदाडेउला अपर प्राइमरी स्कूल, बैसिंगा गाँव में हुई. सुबह की प्रार्थना सभा के बाद जब कुछ छात्रों ने शिक्षिका को पारंपरिक रूप से पैर छूकर प्रणाम नहीं किया, तो वे गुस्से से आगबबूला हो गईं और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को पीटना शुरू कर दिया.

देरी से पहुंचीं शिक्षिका, फिर भी बच्चों को बनाया निशाना

गौरतलब है कि स्कूल में यह परंपरा है कि प्रार्थना सभा के बाद छात्र शिक्षकों को सम्मान स्वरूप पैर छूते हैं. लेकिन उस दिन सुकांति कर स्वयं देरी से स्कूल पहुंचीं, जिससे प्रार्थना सभा समाप्त हो चुकी थी. छात्रों की गलती न होने के बावजूद उन्होंने उन्हें दंडित किया.

छात्र घायल, एक को आई फ्रैक्चर और एक बच्ची हुई बेहोश
घटना के बाद बच्चों के हाथ और पीठ पर गंभीर चोट के निशान पाए गए. स्कूल प्रबंधन की जांच में सामने आया कि एक लड़के का हाथ टूट गया जबकि एक बच्ची बेहोश हो गई जिसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. मामले की जांच स्कूल के प्रधानाध्यापक पूर्णचंद्र ओझा, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) बिप्लव कर, और अन्य शिक्षा अधिकारियों ने की.

स्कूल प्रबंधन की रिपोर्ट के बाद निलंबन
जांच में शिक्षिका को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें 14 सितंबर (शनिवार) को निलंबित कर दिया गया. BEO बिप्लव कर ने कहा कि इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया गया और सख्त कार्रवाई की गई है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ओडिशा में वर्ष 2004 से शारीरिक दंड (कॉरपोरल पनिशमेंट) पर पूर्ण प्रतिबंध है.

शिक्षा में अनुशासन जरूरी, पर हिंसा नहीं
इस घटना ने न केवल छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाला, बल्कि यह भी उजागर किया कि कुछ शिक्षक अब भी पुरानी अनुशासनात्मक प्रवृत्तियों से बाहर नहीं निकल पाए हैं. यह मामला इस बात की याद दिलाता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, सम्मान और करुणा का भाव भी विकसित करना है.

calender
16 September 2025, 06:44 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag