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यूपी की महिला को यूएई में दी गई फांसी, बच्चे की हत्या के आरोप में सनाई थी सजा

विदेश मंत्रालय ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय महिला शहजादी खान को फांसी दे दी गई है. यूपी के बांदा जिले की 33 वर्षीय महिला को चार महीने के बच्चे की हत्या के जुर्म में फांसी दी गई है. अदालत ने इसे 'दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और याचिका का निपटारा कर दिया.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh


विदेश मंत्रालय ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय महिला शहजादी खान को फांसी दे दी गई है. यूपी के बांदा जिले की 33 वर्षीय महिला को चार महीने के बच्चे की हत्या के आरोप में अबू धाबी में फांसी की सजा सुनाई गई थी. विदेश मंत्री ने अदालत को बताया कि शहजादी खान को संयुक्त अरब अमीरात के कानूनों और नियमों के अनुसार 15 फरवरी 2025 को फांसी दी जाएगी.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कहा कि यूएई स्थित भारतीय दूतावास को 28 फरवरी को सरकार से खान की फांसी के बारे में आधिकारिक सूचना मिली थी. उन्होंने कहा कि अधिकारी हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं और उनका अंतिम संस्कार 5 मार्च 2025 को किया जाएगा. यह तब हुआ जब खान के पिता शब्बीर खान ने अपनी बेटी की वर्तमान कानूनी स्थिति और भलाई के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया. मंत्रालय की दलीलों के बाद अदालत ने इसे 'दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण' घटना बताते हुए याचिका का निपटारा कर दिया.

क्या है शहजादी खान मामला?

शहजादी खान को अबू धाबी की अल वथबा जेल में कैद किया गया था और उसे अपनी देखरेख में रह रहे एक बच्चे की मौत के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी. शब्बीर खान की याचिका के अनुसार, उनकी बेटी ने कानूनी वीजा प्राप्त करने के बाद दिसंबर 2021 में अबू धाबी की यात्रा की.

अगस्त 2022 में उसके नियोक्ता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसके लिए खान को देखभालकर्ता के रूप में नियुक्त किया गया था. नियमित टीकाकरण के बाद 7 दिसंबर 2022 को शिशु की मृत्यु हो गई. याचिका में एक वीडियो रिकॉर्डिंग का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें कथित तौर पर खान ने दिसंबर 2023 में शिशु की हत्या की बात कबूल की है. हालांकि, यह दावा किया गया कि यह कबूलनामा उसके नियोक्ता और परिवार द्वारा यातना और दुर्व्यवहार के माध्यम से प्राप्त किया गया था.

सितंबर 2023 में महिला की याचिका खारिज

इसमें यह भी दावा किया गया कि शिशु के माता-पिता ने पोस्टमार्टम के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया तथा मृत्यु के संबंध में आगे जांच से छूट देने के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए. व्यक्ति ने आरोप लगाया कि भारतीय दूतावास ने उसकी बेटी को कानूनी सलाह तो मुहैया कराई, लेकिन उस पर हत्या का जुर्म कबूल करने के लिए दबाव डाला गया तथा उसे पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने से भी मना कर दिया गया. सितंबर 2023 में खान की अपील खारिज कर दी गई और 28 फरवरी 2024 को मृत्युदंड बरकरार रखा गया.

2024 में नई दया याचिका दायर

इसके बाद शब्बीर खान ने मई 2024 में नई दया याचिका दायर की थी. 14 फरवरी, 2025 को उन्हें अपनी जेल में बंद बेटी का फोन आया, जिसमें उन्हें जल्द ही फांसी दिए जाने का सुझाव दिया गया था. इसके बाद उन्होंने 20 फरवरी, 2025 को विदेश मंत्रालय में एक औपचारिक अनुरोध दायर किया, जिसमें उनकी कानूनी स्थिति और भलाई की जांच की मांग की गई, लेकिन कोई अपडेट नहीं मिला.

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04 March 2025, 09:37 AM IST

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