अरे ये क्या...एक मंच पर एकजुट होंगे भारत-पाकिस्तान और अफगानिस्तान, ट्रंप को सबक सिखाने की तैयारी
Diplomatic Talks: रूस, चीन और भारत सहित आठ देशों ने अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य तैनाती का विरोध किया, खासकर बगराम एयरबेस को अमेरिका को सौंपने के प्रस्ताव के खिलाफ. मॉस्को फॉर्मेट वार्ता में आतंकवाद विरोधी सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता और अफगानिस्तान के सामाजिक-आर्थिक विकास पर जोर दिया गया. भारत ने शांतिपूर्ण अफगानिस्तान का समर्थन किया.

Diplomatic Talks: अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य बुनियादी ढांचे की तैनाती के प्रयासों के खिलाफ मंगलवार को रूस, चीन और भारत सहित सात अन्य देशों ने विरोध जताया. यह विरोध उस पृष्ठभूमि में आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तालिबान पर दबाव डाल रहे थे कि बगराम एयरबेस अमेरिका को सौंपा जाए. यह एयरबेस सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके हस्तांतरण को लेकर क्षेत्रीय सुरक्षा पर चिंताएं व्यक्त की गईं.
मॉस्को फॉर्मेट वार्ता में चर्चा
मॉस्को फॉर्मेट वार्ता के नए सत्र में भाग लेने वाले देशों ने अफगानिस्तान में स्थायित्व और विकास के उपायों पर व्यापक रूप से विचार किया. इस दौरान उन्होंने अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी देशों में विदेशी सैन्य बुनियादी ढांचे की तैनाती को अस्वीकार्य बताया. उनका मानना था कि इस तरह की गतिविधियाँ क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हित में नहीं हैं और इससे सुरक्षा की स्थिति प्रभावित हो सकती है.
तालिबान के विदेश मंत्री की पहली भागीदारी
इस वार्ता में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी पहली बार शामिल हुए. इससे कुछ हफ्ते पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि तालिबान को बगराम एयरबेस सौंप देना चाहिए, क्योंकि यह अमेरिका द्वारा स्थापित किया गया था. मॉस्को में हुई वार्ता में भाग लेने वाले देशों ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
आतंकवाद रोधी कदमों पर बल
बैठक में एक संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि अफगानिस्तान को आतंकवाद से निपटने और इसे पूरी तरह समाप्त करने में मदद दी जानी चाहिए. ताकि काबूल का क्षेत्र पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा न बन सके. इसमें यह भी कहा गया कि आतंकवाद अफगानिस्तान, क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न करता है.
भाग लेने वाले देश
इस वार्ता में भारत, रूस, चीन के अलावा ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने भी भाग लिया. इन देशों ने अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर भी जोर दिया.
भारतीय दूतावास का बयान
मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, राजदूत विनय कुमार के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान में स्वतंत्रता, स्थिरता और शांति बनाए रखने के महत्व का समर्थन किया. दूतावास ने सोशल मीडिया पर यह भी कहा कि भारत की नीति स्पष्ट है: एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान न केवल वहां के नागरिकों के हित में है बल्कि पूरे क्षेत्र की लचीलापन और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है.


