ईरान की जमीन पर इजरायली बमबारी... जानें क्यों और कैसे बढ़ा तनाव, अमेरिका की क्या है भूमिका?
Israel Attacks Iran: 13 जून को इजरायल ने ईरान पर भीषण हवाई हमला किया है. इस हमले में ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया. इससे इजरायल-ईरान टकराव नई और खतरनाक दिशा में बढ़ गया है.

Israel Attacks Iran: 13 जून को इजरायल ने ईरानी सरजमीं पर भीषण हवाई हमले कर दिए, जिससे दशकों पुराना यह संघर्ष एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. ऑपरेशन राइजिंग लायन नाम की इस सैन्य अभियान में दर्जनों इजरायली फाइटर जेट्स ने ईरान के परमाणु ठिकानों, मिसाइल फैक्ट्रियों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया. राजधानी तेहरान और नतांज यूरेनियम संयंत्र में जबरदस्त धमाकों की खबरें सामने आईं.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को इजरायल के इतिहास में 'निर्णायक क्षण' बताया. दूसरी ओर, ईरान में हमले के बाद हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं और इस टकराव में अब अमेरिका की रणनीतिक भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं.
Netanyahu just released a video explaining why he's now bombing Iran. The official language in Israel is Hebrew, so why is he speaking ENGLISH?
My lucky guess is that this video isn't for Israelis, it's propaganda for Americans.pic.twitter.com/R5LlFKz3nJ— George (@BehizyTweets) June 13, 2025
क्यों हुआ हमला? जानिए पीछे की वजह
इजरायल का दावा है कि ईरान ने पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम संचित कर लिया है जिससे वह कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम बना सकता है. इस आशंका के आधार पर नेतन्याहू सरकार ने यह कदम उठाया, जिसे वह 'अस्तित्व की लड़ाई' बता रही है.
हालांकि, ईरान ने हमेशा इस बात से इनकार किया है कि वह परमाणु हथियार बना रहा है. तेहरान ने इजरायल पर आक्रामकता और क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया है. इसके अलावा, ईरान हमास और हिज़्बुल्लाह जैसे संगठनों के माध्यम से इजरायल की सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बना हुआ है.
अमेरिका की भूमिका: समर्थन या दूरी?
हालांकि अमेरिका इजरायल का पुराना सहयोगी है, फिर भी इस हमले से उसने खुद को आधिकारिक रूप से अलग कर लिया है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, "आज रात इजरायल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की है. अमेरिका इसमें शामिल नहीं है और हमारी प्राथमिकता अमेरिकी बलों की सुरक्षा है."
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी एक दिन पहले कहा था कि इजरायल का हमला हो सकता है, लेकिन उन्होंने शांति की उम्मीद जताई थी. अमेरिका ने इराक, जॉर्डन और खाड़ी देशों में अपने गैर-जरूरी कर्मचारियों को हटा लिया और अपनी सेना को सतर्क कर दिया है.
भले ही अमेरिका सैन्य कार्रवाई से दूरी बनाए हुए हो, लेकिन कूटनीति, आर्थिक प्रतिबंध और रणनीतिक साझेदारी के जरिये वह अब भी इस संघर्ष का एक अहम हिस्सा बना हुआ है.
इजरायल-ईरान टकराव: असली वजह क्या है?
यह टकराव सिर्फ परमाणु कार्यक्रम तक सीमित नहीं है. यह एक विचारधारात्मक और रणनीतिक टकराव है. इजरायल ईरान को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, क्योंकि तेहरान खुले तौर पर यहूदी राष्ट्र को मिटाने की बात करता है और उन संगठनों को मदद देता है जो इजरायल पर हमले करते हैं.
वहीं, ईरान खुद को 'इस्लामी प्रतिरोध' का केंद्र मानता है और इजरायल की वैधता को चुनौती देता है. दोनों देश अब तक छद्म युद्ध, साइबर हमलों और गुप्त अभियानों के ज़रिये एक-दूसरे से लड़ते रहे थे, लेकिन अब यह संघर्ष खुलकर सामने आ गया है.
कैसे बिगड़ते गए हालात?
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7 अक्टूबर 2023: हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया, जिसमें 1,100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई.
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17 अक्टूबर 2023: ईरान ने चेतावनी दी, हिज्बुल्लाह ने उत्तर से मोर्चा खोला.
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दिसंबर 2023–मार्च 2024: इजरायल ने सीरिया में IRGC नेताओं को निशाना बनाया.
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1 अप्रैल 2024: दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला, जनरल जहेदी मारे गए.
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13–14 अप्रैल 2024: ईरान ने पहली बार सीधे इजरायल पर हमला किया.
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19 अप्रैल 2024: इजरायल ने ईरान में रडार स्टेशन को उड़ाया.
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31 जुलाई 2024: तेहरान में हमास नेता की हत्या.
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सितंबर 2024: हिज्बुल्लाह प्रमुख और ईरानी डिप्टी कमांडर की मौत.
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1 अक्टूबर 2024: ईरान ने 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं.
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26 अक्टूबर 2024: इजरायल ने 'डेज ऑफ रिपेंटेंस' ऑपरेशन चलाया.
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जनवरी–मार्च 2025: यमन, सीरिया, इराक में छद्म युद्ध तेज हुआ.
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अप्रैल–जून 2025: IAEA ने ईरान पर पारदर्शिता घटने की बात कही.
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13 जून 2025: ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत इजरायली हमला.
आगे क्या हो सकता है?
अब सभी की नजरें ईरान पर टिकी हैं. प्रतिशोध तय है चाहे वह मिसाइल हमलों के ज़रिये हो, प्रॉक्सी संगठनों के ज़रिये या साइबर हमलों के माध्यम से. पूरा पश्चिमी एशिया युद्ध की कगार पर खड़ा है.
यह अब छाया युद्ध नहीं रह गया. दोनों देश एक-दूसरे के रणनीतिक ठिकानों पर खुला हमला कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यही है कि क्या कूटनीति अभी भी इस तबाही को रोक सकती है?


