चीन के साथ डील के लिए ताइवान को छोड़ेगा अमेरिका? ट्रंप के इस कदम से मिले बड़े संकेत
Xi Jinping Trump meeting: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान पर अमेरिकी नीति बदलवाने के लिए ट्रंप से मुलाकात की तैयारी कर रहे हैं और चाहते हैं कि वॉशिंगटन आधिकारिक तौर पर ताइवान की स्वतंत्रता का 'विरोध' करे.

Xi Jinping Trump meeting: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आने वाले महीनों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर वॉशिंगटन की लंबे समय से चली आ रही ताइवान नीति में बदलाव की कोशिश करेंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शी जिनपिंग का लक्ष्य है कि अमेरिका आधिकारिक तौर पर ताइवान की स्वतंत्रता का 'विरोध' करे. बीजिंग मानता है कि अगर ऐसा हुआ तो ताइपे और ज्यादा अलग-थलग पड़ जाएगा और चीन का दबदबा बढ़ेगा.
अपने तीसरे कार्यकाल में प्रवेश कर चुके शी जिनपिंग कई बार साफ कर चुके हैं कि ताइवान की वापसी 'अनिवार्य' है और बाहरी ताकतें इसे रोक नहीं सकतीं.
मौजूदा अमेरिकी रुख से बीजिंग नाखुश
बाइडेन प्रशासन ने कहा था कि अमेरिका 'ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता', जिसे बीजिंग ने सकारात्मक माना लेकिन यह कोई नीति परिवर्तन नहीं था. अब शी जिनपिंग वॉशिंगटन से और कड़े शब्दों में बयान चाहते हैं, जो अमेरिका को खुले तौर पर बीजिंग के पक्ष में खड़ा करे. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया कि हम लंबे समय से यह कहते आ रहे हैं कि हम किसी भी तरफ से यथास्थिति में एकतरफा बदलाव का विरोध करते हैं. चीन ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
ट्रंप से क्यों उम्मीद लगाए बैठे हैं शी जिनपिंग?
विश्लेषकों का मानना है कि शी जिनपिंग को विश्वास है कि डोनाल्ड ट्रंप आर्थिक रियायतों के बदले इस नीति परिवर्तन पर विचार कर सकते हैं. ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात इस साल दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत सम्मेलन में तय है. इसके बाद 2026 में बीजिंग और वॉशिंगटन में संभावित द्विपक्षीय दौरे भी हो सकते हैं, जो व्यापार वार्ताओं और ड्रग फेंटेनिल उत्पादन को रोकने में चीन के सहयोग पर निर्भर करेंगे.
अमेरिका-ताइवान रिश्तों में अनिश्चितता
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि हाल के दिनों में अमेरिका-ताइवान रिश्तों में असमंजस के संकेत मिले हैं. ट्रंप प्रशासन ने ताइपे को दी जाने वाली सैन्य मदद को टाल दिया और ताइवानी राष्ट्रपति लाई चिंग-ते को अमेरिकी ट्रांजिट स्टॉप की अनुमति नहीं दी, जिसके चलते उन्हें लैटिन अमेरिका का दौरा रद्द करना पड़ा.
अमेरिकी अधिकारियों ने साफ किया कि यह कदम ताइवान की घरेलू राजनीति को प्रभावित ना करने के लिए उठाया गया था, ना कि समर्थन घटाने के संकेत के तौर पर. उन्होंने जोड़ा कि वॉशिंगटन अब भी चीनी सैन्य कार्रवाई को रोकने और ताइवान की आत्मरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने पर केंद्रित है.
'वन चाइना पॉलिसी' पर अमेरिकी रुख
हालांकि बाइडेन काल में ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं वाला वाक्य आधिकारिक दस्तावेजों से हटाया गया है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका की 'वन चाइना पॉलिसी' में कोई बदलाव नहीं हुआ है. स्टिम्सन सेंटर की चीन प्रोग्राम निदेशक युन सन ने कहा कि अमेरिका की ताइवान नीति में रातों-रात बदलाव नहीं होगा. चीन लगातार दबाव बनाता रहेगा और धीरे-धीरे ताइवान के विश्वास को कमजोर करेगा.


