क्या फिर होगी 'उरी' जैसी जवाबी कार्रवाई? पाकिस्तान ने जताई गहरी चिंता
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक लाभ के लिए पूरे क्षेत्र को परमाणु युद्ध की ओर धकेल रहे हैं. उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बढ़ते आतंकवाद के लिए भी भारत को जिम्मेदार ठहराया और क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताया.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तेजी से बढ़ता जा रहा है. इसी बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बड़ा बयान देते हुए दावा किया है कि भारत नियंत्रण रेखा (LoC) पर किसी भी समय सैन्य हमला कर सकता है.
इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान की सेना पूरी तरह तैयार है और अगर भारत हमला करता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. उन्होंने भारत पर यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक फायदे के लिए पूरे क्षेत्र को परमाणु युद्ध के खतरे की ओर धकेल रहे हैं.
रानी दुर्गावती को लेकर उठाया मुद्दा
आसिफ ने दावा किया कि भारत ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है और पाकिस्तान इस मुद्दे को पहले भी संयुक्त राष्ट्र के सामने सबूतों के साथ उठा चुका है. उन्होंने कहा कि अगर भारत के पास पहलगाम हमले से जुड़े पक्के सबूत हैं तो उसे उन्हें दुनिया के सामने पेश करना चाहिए.
हमला 10 या 11 मई को हो सकता है?
इसी बीच पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासित ने भी बड़ा दावा किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भारत 10 या 11 मई को पाकिस्तान के खिलाफ सीमित सैन्य कार्रवाई कर सकता है. यह दावा उस समय किया गया है जब भारत ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त रवैया अपनाया हुआ है.
सेना प्रमुख का भी बयान
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भी कहा है कि अगर भारत की ओर से कोई हमला होता है तो पाकिस्तान जवाब देने के लिए तैयार है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सेना अपने देश की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा के लिए पूरी ताकत से जवाब देगी.
क्या बड़ा युद्ध संभव है?
भारत और पाकिस्तान के बीच हालात इतने तनावपूर्ण हो चुके हैं कि अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या एलओसी पर कोई बड़ी कार्रवाई होने वाली है? दोनों देशों की तरफ से बयानबाज़ी तेज हो गई है और सीमा पर सैनिकों की हलचल भी बढ़ गई है. यह सब 1971 के बाद सबसे तनावपूर्ण स्थिति मानी जा रही है.


