क्यों बढ़ रहा हैं बच्चों का BP
क्यों बढ़ रहा हैं बच्चों का BP

अभी हाल ही में 17 मई को हाइपरटेंशन डे था। दुनिया भर में ये बीमारी तेजी से अपना पांव पसार रही है। अब ये बीमारी बड़ी तेजी से छोटे-छोटे बच्चों का अपना शिकार बना रही है। दुनियाभर के बच्चे बड़ी तेजी से हाई बीपी के शिकार हो रहे हैं। जहां तक आपको पता है कि हाई ब्लड प्रेशर यानी हाई बीपी एक गंभीर समस्या है जिसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर मामला बच्चों का है तो बिल्कुल भी नहीं क्योंकि अक्सर बच्चों में इसके लक्षण जल्दी सामने नहीं आते हैं। इसलिए इसे लेकर सचेत रहने की अधिक जरूरत है। हाई ब्ल्ड प्रेशर को अगर आसान शब्दों में समझें तो आपकी धमनियों में जब खून का दबाव बढ़ता है तो हृदय को सामान्य गति से अधिक काम करना पड़ता है, प्रेशर बढ़ने की यही प्रक्रिया हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप कहलाता है। इसे हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है
बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम मानी जाती है। एक रिसर्च के मुताबिक प्राथमिक उच्च रक्तचाप के लक्षण बच्चों में हल्के या फिर न के बराबर दिख सकते हैं। ऐसे में ये हल्के-फुल्के लक्षण क्या हो सकते हैं वो भी समझने की जरूरत है। जैसे जब आपका बच्चा सिरदर्द की शिकायत करे या फिर उसे उल्टी आए तो उसकी एहतिहातन जांच करा लेनी चाहिए। उसी तरह यदि उसे सांस लेने में तकलीफ हो, बार-बार नाक से खून आता हो तब भी उसके रक्तचाप की जांच करा लेनी चाहिए।
बच्चों में उच्च रक्तचाप होने के कई कारण हो सकते हैं। हार्मोन के स्तर में होने वाले बदलाव को बच्चों में उच्च रक्तचाप का कारण माना जा सकता है। इसके अलावा नर्वस सिस्टम, हृदय और रक्त वाहिकाओं से जुड़ी समस्याएं भी हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती हैं। वहीं, बच्चों में किडनी से जुड़ी समस्याएं भी हाई बीपी का जोखिम पैदा कर सकता है। इन सबों के अलावा बच्चों का अधिक वजन या मोटापा, परिवार में पहले से किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या रही हो। बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज या बच्चों में हाई ब्लड शुगर। हाई कोलेस्ट्राल, बच्चों में नींद के दौरान सांस लेने में समस्या, समय से पहले जन्म या जन्म के वक्त कम वजन होना। इन कारणों की वजह से भी कभी-कभी बच्चे हाई बीपी के शिकार हो जाते हैं। कई बार कुछ अन्य बीमारियां भी बच्चों में बीपी बढ़ा देती हैं। जैसे अगर उन्हें थायरॉयड, हॉर्ट, ट्यूमर की समस्या हो।
अक्सर रक्तचाप की रीडिंग दो संख्याओं में की जाती है। इसके माप को 120/80 के रूप में लिखा जाता है। 13 साल की आयु तक के बच्चों में उच्च रक्तचाप को मापने का तरीका वयस्कों की तुलना में अलग होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ-साथ रक्तचाप में बदलाव को सामान्य माना जाता है। एक बच्चे के रक्तचाप की संख्या की तुलना उसी आयु, कद और लिंग के अन्य बच्चों से की जा सकती है। अगर वक्त रहते बच्चे के रक्तचाप पर ध्यान न दिया गया तो इससे बच्चों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जैसे स्ट्रोक का खतरा, दिल का दौरा पड़ने का जोखिम, हार्ट फेल्यॉर, किडनी की बीमारी।
इसलिए अपने बच्चों का बेहतर ख्याल रखने के लिए उनका बीपी बार-बार चेक करें। उनका उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रहे ताकि बच्चे में इसके कारण होने वाली जटिलताओं का खतरा कम हो सके। अगर किसी बच्चे को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो डॉक्टर इलाज के रूप में सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं। इसके अलावा अगर बढ़ते वजन के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या हो रही है तो ऐसे में बढ़े हुए वजन को नियंत्रित करके भी रक्तचाप कम करने में मदद मिल सकती है। बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए कम नमक, बिना चर्बी वाले मांस, साबूत अनाज और कम या फिर बिना फैट वाले डेयरी खाद्य पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है साथ ही जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम का कम सेवन की सलाह दी जाती है।
खाने में कम चीनी और कम नमक की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, रोजाना 30 से 60 मिनट बच्चों को व्यायाम कराने की सलाह भी दी जा सकती है। इससे भी मोटापे को नियंत्रित करने में और हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। बच्चे के स्क्रीन टाइम को कम करने की सलाह दी जा सकती है यानी वो मोबाइल, लैपटॉप या फिर किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक गजट पर ज्यादा समय न बिताएं। रक्तचाप नियंत्रित रहे इसके लिए बच्चे की नींद पूरी होनी भी जरूरी है। अगर बच्चों को कोई अन्य बीमारी है तो उसका जल्द से जल्द इलाज कराना चाहिए।
माता-पिता अपने बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दें। पारंपरिक खेलों से उनका परिचय कराएं ताकि वो मोबाइल और कम्प्यूटर से ज्यादा समय तक दूर रहें। कई आउटडोर और इनडोर गेम्स हैं जिन्हें बच्चे पसंद करेंगे उसमें उनकी रूचि बढ़वाने की कोशिश करें। व्यायाम, योग, प्राणायाम जैसे अभ्यास के लिए उन्हें प्रेरित करें। उनके लिए समय निकालकर उनसे बातें करे। बच्चे हमारा भविष्य हैं। हम सबका दायित्व है कि बच्चों का बचपना न खोने ना पाए और वो निरोग रहें।


