World Water Day 2023: जाने क्यों विश्व जल दिवस मनाया जाता है क्या है इसके उद्देश्य, पुराणों में भी वर्णित है जल का महत्व
विश्व भर में 22 मार्च को जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व जल दिवस की शुरुआत साल 1993 में आयोजित किया गया था, तब से लेकर पूरे देश में जल दिवस के रुप में मनाया जाता है। जल दिवस को विश्व स्तर पर मनाने का उद्देश्य है लोगों को पानी का महत्व और उसके सही उपयोग को बताना है।

World Water Day 2023: वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो के संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में विश्व स्तर पर विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई थी। जिसके बाद इस पहल पर गौर किया और संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद 22 मार्च 1993 में पहली बार ‘विश्व जल दिवस’ मनाया गया। इसके बाद से ही देश में हर साल 22 मार्च को “विश्व जल दिवस” के रुप में मनाया जाता है।
विश्व जल दिवस का क्या महत्व है
जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। इस साल जल दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में पानी के महत्व के बारे जागरूक करना और उन्हें पानी के उपयोग के बारें में बताना है। पानी का उपयोग किसी भी प्राणी के लिए बेहद जरूरी है। पानी के बिना किसी भी प्राणी का जीवन जीना संभव नहीं है। पानी का उपयोग मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा, कृषि, ऊर्जा उत्पादन जैसे कई चीज़ों के लिए उपयोग में लाया जाता है।
जल एक सीमित संसाधन, इसलिए इसका सही उपयोग और जिम्मेदारी से प्रबंधन के लिए सुनिश्चित करना करना बेहद आवश्यक है। देश में बढ़ते जनसंख्या को देखते हुए पानी के प्रति लोगों में जागरूकता लाना बेहद आवश्यक हो गया है। ऐसे कई जगह है जहा पानी लोगों को नसीब नहीं है। हजारों लोग को पानी पीने को नसीब नहीं है, इसलिए जल संरक्षन को देखते हुए लोगों में जागरुकता फैलाना बेहद जरूरी हो गया है। पानी का इस्तेमाल सही जहग पर करना , साथ ही पानी की बर्बादी से बचना, यह जानना हर व्यक्ति के लिए बेहद जरुरी है।
आदिग्रंथों और पुराणों में जल का क्या महत्व है
सृष्टि के प्रारंभ से ही प्राणियों के लिए जल का विशेष महत्व बताया गया है। सनातन धर्म के आदिग्रंथों और पुराणों में भी पानी के महत्व का वर्णन किया गया है। देश स्तर पर जल दिवस मनाने का एक मात्र उद्देश्य है जीवन में जल का महत्व और उसके उपयोगिता को समझाना है। विश्व जल दिवस देश स्तर पर मनाया जाता है।
जल का उपयोग पूजा पाठ में भी उपयोग में लाया जाता है। जल हर प्राणियों के लिए बेहद जरूरी है। जल के बिना प्रणियों का जीवन संभव ही नहीं है। ऐसे ही बिना जल के पूजा पाठ भी संपन्न नहीं होता है। कोई भी पूजा पाठ में जल का उपयोग शुद्धिकरण के लिए किया जाता है अगर जल नहीं है तो शुद्धिकरण नहीं होगा और अगर शुद्धिकरण नहीं तो पूजा शुद्ध नहीं होगी, इसलिए आदिग्रंथों में जल का महत्व बताया गया है।
आदिग्रंथों में जल का महत्व
शास्त्रों और पुराणों में में बताया गया है कि जल का भार धरती पर, धरती से 10 गुणा ज्यादा है।
• पुराणों में ऐसा भी कहा गया है कि अगर जल को अगर भाव से तांबे के पात्र में रखें और उसमें तुलसी का पत्ता रखकर मंत्र आदि का उच्चारण करें तो अपवित्र जल भी पवित्र हो जाता है।
• गंगा नदी में प्रवाहित हो रही जल को सबसे पवित्र जल माना जाता है। गंगा जल की महिमा रामायण, महाभारत वेद, पुराण जैसे सभी धार्मिक ग्रंथों बताया गया है।
• आपको बता दें की शिवपुराण में ये भी कहा गया है कि,भगवान शिव स्वयं ही जल हैं।


