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जब मां-बाप न हों, तब कैसे होता है DNA टेस्ट? जानिए विज्ञान क्या कहता है

DNA Test: जब किसी हादसे में शव की पहचान मुमकिन नहीं होती, तब DNA टेस्ट एकमात्र सहारा बनता है. लेकिन अगर मृतक के माता-पिता जीवित न हों तो पहचान कैसे होती है? ऐसे में विज्ञान के पास कुछ विकल्प मौजूद हैं जिनसे रिश्तेदारी साबित की जा सकती है और शव की पहचान संभव हो पाती है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

DNA Test: जब कोई दर्दनाक हादसा होता है और मृतकों की पहचान मुश्किल हो जाती है, तब उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आता है डीएनए टेस्ट. यह विज्ञान का ऐसा कमाल है जिससे कोई भी शव चाहें जब पूरी तरह जल चुका हो पहचाना जा सकता है. हाल ही में अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में यही चुनौती सामने आई है, जहां कई शव इतनी बुरी तरह झुलस गए हैं कि उनकी पहचान केवल DNA टेस्ट से ही संभव हो पाएगी.

लेकिन सवाल उठता है कि जब किसी व्यक्ति के माता-पिता जीवित न हों, तो फिर शव का डीएनए किससे मिलाया जाता है? क्या तब पहचान करना असंभव हो जाता है? नहीं, विज्ञान के पास इसका भी समाधान है. जानते हैं ऐसे मामलों में क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है.

क्या होता है DNA?

DNA यानी Deoxyribonucleic Acid, हर इंसान की जैविक पहचान होती है. यह हर व्यक्ति में अलग होता है और माता-पिता से संतानों में लगभग 99.99% तक ट्रांसफर होता है. इसलिए जब भी किसी व्यक्ति की पहचान करनी हो, तो उसके माता-पिता का DNA सैंपल सबसे ज्यादा उपयोगी होता है.

शव से कैसे लिया जाता है DNA?

जब किसी शव की पहचान नहीं हो पाती, तो उसके शरीर से बची कोशिकाओं जैसे बाल, खून, हड्डी या दांत से DNA निकाला जाता है. ये सैंपल विशेष प्रयोगशालाओं में भेजे जाते हैं, जहां उन्हें सजीव लोगों के DNA से मिलाया जाता है. अगर मेल हो जाए, तो रिश्तेदारी प्रमाणित की जाती है.

माता-पिता न हों तो क्या होता है?

कई बार हादसों में शव की पहचान करनी होती है लेकिन मृतक के माता-पिता जीवित नहीं होते. ऐसे में सवाल उठता है शव की पहचान कैसे होगी? इस स्थिति में वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाता है. मृतक के भाई, बहन, चाचा, मौसी जैसे नजदीकी रिश्तेदारों का DNA सैंपल लिया जाता है. भाई-बहनों का DNA लगभग 50% तक मेल खा सकता है. यह मेल भी काफी हद तक रिश्तेदारी साबित करने में सक्षम होता है.

कंप्यूटर तय करता है DNA मिलान

DNA टेस्ट के दौरान शव और रिश्तेदार के DNA सैंपल को कंप्यूटर में मैच किया जाता है. सॉफ्टवेयर यह बताता है कि दोनों सैंपल के बीच रिश्तेदारी कितनी प्रतिशत तक मेल खा रही है. यह आंकड़े आधार बनते हैं, शव की पहचान के लिए.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश केस में भी DNA ही आखिरी उम्मीद

हाल ही में अहमदाबाद विमान हादसे में सवार 242 लोगों में से अधिकांश की मौत हो गई है. प्रशासन के अनुसार, शव इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान आंखों से या अन्य पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं. ऐसे में अब DNA टेस्ट ही शवों की पहचान का एकमात्र जरिया बन गया है.

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13 June 2025, 03:01 PM IST

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