World Day Against Child Labour 2025: बच्चों के अधिकारों के लिए क्यों खास है 12 जून?
World Day Against Child Labour 2025: हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य बच्चों से जबरन काम कराए जाने के खिलाफ जागरूकता फैलाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और एक खुशहाल बचपन मिलना चाहिए, न कि मजदूरी.

World Day Against Child Labour 2025: हर साल 12 जून को दुनियाभर में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद है बच्चों के शोषण के खिलाफ जागरूकता फैलाना और सामूहिक प्रयासों के जरिए बाल श्रम को खत्म करने की दिशा में कदम उठाना. यह दिन उन बच्चों की स्थिति पर ध्यान आकर्षित करता है जिन्हें शिक्षा से वंचित कर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है.
बाल श्रम वह स्थिति है जिसमें 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से घरों, दुकानों, खेतों, फैक्ट्रियों और अन्य स्थानों पर काम कराया जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण गरीबी, पारिवारिक दबाव या शोषण है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है, और इसके लिए समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी तय होती है.
बच्चों की सेहत और पोषण पर भी है असर
बाल श्रम केवल शिक्षा से वंचित नहीं करता, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के पोषण की सुरक्षा भी आज की एक बड़ी चिंता है. उदाहरण के तौर पर, कुछ फल जैसे लीची छोटे बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं, इसलिए उन्हें खिलाते समय विशेष सावधानी की ज़रूरत है.
लाखों बच्चे अब भी कर रहे हैं खतरनाक काम
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में कुल 138 मिलियन यानी 13.8 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं, जिनमें से 54 मिलियन यानी 5.4 करोड़ बच्चे खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं. इनमें खदानों जैसे जोखिमभरे स्थान भी शामिल हैं.
अफ्रीका और एशिया में सर्वाधिक बाल श्रमिक
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीका में बाल श्रम का प्रतिशत सबसे अधिक है कुल बच्चों का लगभग एक-पांचवां हिस्सा, यानी करीब 7.2 करोड़ बच्चे. एशिया और प्रशांत क्षेत्र इस सूची में दूसरे स्थान पर है, जहां 7% बच्चों यानी 6.2 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं.
विश्वभर में बाल श्रम की स्थिति
विश्व स्तर पर देखें तो अफ्रीका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र मिलकर वैश्विक बाल श्रमिकों में से लगभग 90% का प्रतिनिधित्व करते हैं. शेष हिस्सों में अमेरिका (1.1 करोड़), यूरोप और मध्य एशिया (60 लाख) और अरब देश (10 लाख) शामिल हैं. क्षेत्रीय दरों के अनुसार, अमेरिका में 5%, यूरोप और मध्य एशिया में 4%, और अरब देशों में 3% बच्चे बाल श्रम में संलग्न हैं.
बाल श्रम की चुनौती आज भी गंभीर बनी हुई है, और इसका समाधान तभी संभव है जब सरकारें, समाज और आम लोग मिलकर सक्रिय कदम उठाएं. इस दिवस का संदेश स्पष्ट है हर बच्चे को उसका हक मिलना चाहिए, न कि उसकी मासूमियत को मजदूरी की भेंट चढ़ाया जाए.


