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World Poha Day: जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व पोहा दिवस और क्या है इसके पीछे का इतिहास?

हर वर्ष 7 जून को विश्व पोहा दिवस (World Poha Day) के रूप में मनाया जाता है, आइये आज जानते हैं इसके पीछे का क्या है इतिहास और आखिर इसे क्यों मनाया जाता है।

हाइलाइट

  • भारत की आज़ादी के 2 साल बाद 1949-1950 में पोहा देश में आया था।

आज विश्व पोहा दिवस (World Poha Day) है। भारत में हर वर्ष 7 जून को विश्व पोहा दिवस (World Poha Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि पोहा खाने में जितना स्वादिष्ट होता है वह स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही हेल्दी होता है। जानकारी के लिए बता दें कि पोहे को विभिन्न राज्यों में अलग - अलग नाम से जाना जाता है। 

पोहे के विभिन्न नाम 

जहां कई जगहों पर पोहे को पोहा तो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इसको पोहे के नाम से जाना जाता है। तो किसी - किसी जगहों पर इसको पीटा चावल और चपटा चावल भी कहा जाता है। बंगाल और असम में  चीड़ा, गुजरात में पोआ और तेलगु में इसको अटुकुलू कहा जाता है। पोहे को बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी उम्र के लोग खा सकते हैं। 

इन जगहों पर सबसे अधिक होता है पोहे का सेवन 

जानकारी के लिए बता दें कि पोहे की सबसे अधिक खपत महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में होती है। यही नहीं इसका सबसे अधिक सेवन भी मध्यप्रदेश का मालवा इलाके में किया जाता है। 

पोहे का इतिहास 

भारत की आज़ादी के 2 साल बाद 1949-1950 में पोहा देश में आया था। महाराष्ट्र के रायगढ़ के पुरुषोत्तम जोशी अपनी बुआ के यहाँ पर इंदौर आये हुए थे, उस समय वह जॉब किया करते थे। इस बीच उन्होंने इंदौर में रहकर पोहे की दुकान खोलने का विचार आया। इसके बाद पोहा लोगों को इतना भा गया की वह यहीं का हो गया और हर 7 जून को विश्व पोहा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 
 

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07 June 2023, 02:04 PM IST

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