Bangalore: इस शिव मंदिर में चढ़ाया हुआ दूध नहीं होता बर्बाद, बनता है खास प्रसाद, गरीबों को किया जाता दान
अक्सर देश भर में शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने को लेकर बहस देखने को मिलता है. ऐसे कई लोग है जिनका मानना है कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से अच्छा है कि इसे गरीबों में बाट दे ताकी उनका भला हो सके. इस बीच आज हम आपको एक ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां शिवलिंग पर चढ़ाए हुआ दूध बर्बाद नहीं होता है. इस दूध को बाद में प्रसाद बनाया जाता है और उसे गरीबों में बांटा जाता है.

भारत में भगवान शिव की पूजा और अभिषेक की परंपरा सदियों पुरानी है. हर दिन देशभर के मंदिरों में हजारों लीटर दूध, दही, शहद और अन्य सामग्रियों से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. लेकिन समय-समय पर यह सवाल उठता रहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में चढ़ाया गया दूध बर्बाद क्यों हो रहा है, जबकि देश में लाखों लोग भूखे सोते हैं. इसी सोच को ध्यान में रखते हुए, बैंगलोर के एक मंदिर ने एक अनूठी पहल की है, जिससे दूध की बर्बादी रोकी जा सके और भक्तों को उसका लाभ मिले.
दरअसल, बैंगलोर के गंगाधरेश्वर मंदिर ने एक विशेष परंपरा को अपनाया है, जहां अभिषेक के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाए गए दूध को बर्बाद करने के बजाय उसे छाछ में परिवर्तित कर दिया जाता है. यह छाछ अगले दिन भक्तों को प्रसाद के रूप में दी जाती है. मंदिर के प्रमुख ईश्वरानंद स्वामी का कहना है कि यह अनूठी विधि न केवल दूध की शुद्धता बनाए रखती है, बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी साबित होती है.
कैसे होता है यह विशेष अभिषेक?
1. दूध की बर्बादी रोकने की पहल
गंगाधरेश्वर मंदिर, जो कि बैंगलोर के टी दशरहल्ली क्षेत्र में स्थित है, ने इस अद्भुत परंपरा की शुरुआत की है. यहां अभिषेक के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दूध को बहाने के बजाय उसे एक साफ प्रक्रिया से गुजारा जाता है, जिससे वह छाछ में बदल जाता है. इस छाछ को भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.
2. क्या कहते हैं मंदिर प्रमुख ईश्वरानंद स्वामी?
मंदिर प्रमुख ईश्वरानंद स्वामी ने बताया कि, वह लंबे समय से इस बात पर शोध कर रहा था कि हम भक्तों की सबसे अच्छी सेवा कैसे कर सकते हैं. मैंने यह भी पढ़ा कि चूंकि दूध एक बहुत ही महत्वपूर्ण उत्पाद है, इसलिए इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए. हम अभिषेक करते हैं, लेकिन इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि अभिषेक में सिंदूर या हल्दी न मिले, ताकि दूध खराब न हो. फिर, हम एक स्वच्छ प्रक्रिया अपनाते हैं जिससे दूध को किण्वित कर छाछ में बदला जा सके. हालांकि, इसमें एक दिन लगता है, इसलिए हम आमतौर पर मंगलवार को छाछ परोसते हैं."
3. अभिषेक और प्रसाद वितरण का तरीका
- विशेष रूप से सोमवार को, जब भगवान शिव को हजारों लीटर दूध चढ़ाया जाता है, तब इस दूध को संभालकर रखा जाता है.
- यह सुनिश्चित किया जाता है कि दूध में किसी अन्य सामग्री का मिश्रण न हो, जिससे उसकी शुद्धता बनी रहे.
- दूध को एक वैज्ञानिक प्रक्रिया के माध्यम से छाछ में बदला जाता है.
- मंगलवार को यह छाछ भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है.
शिव पूजा के अन्य अनोखे रूप
गंगाधरेश्वर मंदिर अकेला ऐसा मंदिर नहीं है जहां भगवान शिव को प्रसाद के रूप में कुछ अनोखा चढ़ाया जाता है. भारतभर में भगवान शिव की पूजा अलग-अलग तरीकों से की जाती है.
1. भांग और पंचामृत
उत्तर भारत के कई मंदिरों में शिवलिंग पर भांग और पंचामृत चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव इन सामग्रियों को अत्यंत प्रिय मानते हैं और इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है.
2. केरल के मंदिरों में 'पायसम' चढ़ाया जाता है
केरल के कुछ शिव मंदिरों में भक्त पायसम (एक प्रकार की मीठी खीर) भगवान शिव को अर्पित करते हैं और इसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.
3. कुछ जगहों पर चढ़ाई जाती है शराब!
उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ मंदिरों में, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, भक्त भगवान शिव को शराब भी अर्पित करते हैं. यह प्रथा विवादित है, लेकिन स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इसे भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक तरीका माना जाता है.


