score Card

मनसा देवी मंदिर: हरिद्वार के इस प्राचीन सिद्धपीठ में रोजाना क्यों उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब?

हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह हुई भगदड़ में छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए. हादसे के पीछे सीढ़ियों के पास बिजली के झटके की अफवाह को कारण बताया जा रहा है. यह हादसा तब हुआ जब हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे थे. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों रोजाना इतनी बड़ी संख्या में लोग इस मंदिर में उमड़ते हैं?

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Mansa Devi Temple: हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार, 27 जुलाई की सुबह मची भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. हादसे में अब तक छह लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य श्रद्धालु घायल हुए हैं. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि मंदिर मार्ग पर लगभग 100 मीटर नीचे सीढ़ियों के पास बिजली के झटके की अफवाह फैलने से अफरा-तफरी मच गई, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई.

इस हादसे ने न सिर्फ सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह सवाल भी उठा दिया है कि आखिर इस मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु क्यों उमड़ते हैं? इसका जवाब जानने के लिए हमें इस मंदिर के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व की ओर लौटना होगा.

मनसा देवी मंदिर: श्रद्धा, शक्ति और सिद्धि का संगम

शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित बिल्व पर्वत की चोटी पर बना मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड और हरिद्वार का एक प्रमुख सिद्धपीठ है. यह हरिद्वार के पंच तीर्थों (पांच पवित्र स्थलों) में से एक है और चंडी देवी व माया देवी मंदिरों के साथ त्रिकाल यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह मंदिर शक्ति की प्रतिरूप देवी मनसा को समर्पित है, जिनकी उत्पत्ति भगवान शिव के मन से मानी जाती है. मनसा नाम का अर्थ होता है इच्छा. इसलिए यह मंदिर इच्छाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है. श्रद्धालु यहां संतान प्राप्ति, समृद्धि और सांपों से सुरक्षा के लिए मनोकामना लेकर आते हैं. देवी मनसा को नागराज वासुकी की बहन भी माना जाता है, जिससे उनका संबंध नागपूजन से भी जुड़ जाता है.

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

लोककथाओं के अनुसार, कभी हरिद्वार के स्थानीय लोगों ने देखा कि एक गाय प्रतिदिन एक विशेष स्थान पर जाकर तीन पत्थरों पर दूध चढ़ा रही थी. बाद में समझा गया कि ये पत्थर देवी सती के भ्रूमध्य से जुड़े हैं और वहां देवी मनसा का प्रकट रूप है. इस अलौकिक संकेत को समझते हुए मणिमाजरा के महाराजा गोपाल सिंह ने 1811 से 1815 के बीच इस मंदिर का निर्माण करवाया.

मनोकामनाओं को बांधने वाली परंपरा

मंदिर परिसर में एक विशेष पवित्र वृक्ष है, जिसकी शाखाओं पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए धागा बांधते हैं. जब उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, तो वे लौटकर आकर वही धागा खोलते हैं. मंदिर के गर्भगृह में देवी की दो रूपों में मूर्तियां स्थापित हैं एक में आठ भुजाओं वाली देवी और दूसरी में तीन सिर और पांच भुजाओं वाला रूप है.

वास्तुकला और आध्यात्मिक अनुभव

मनसा देवी मंदिर की वास्तुकला में पारंपरिक हिंदू शैली के साथ स्थानीय प्रभाव भी देखने को मिलते हैं. यहां तक पहुंचने के दो रास्ते हैं 1.5 किमी की पैदल चढ़ाई या मनसा देवी उदन खटोला, यानी रोपवे का रोमांचक सफर, जो हरिद्वार और गंगा के मैदानों का अद्भुत नजारा पेश करता है.

मनसा देवी मंदिर कैसे पहुंचे?

  • हवाई मार्ग से: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (DED) है, जो हरिद्वार से लगभग 35-45 किमी दूर स्थित है. वहां से टैक्सी या बस से आसानी से हरिद्वार पहुंचा जा सकता है.

  • रेल मार्ग से: हरिद्वार जंक्शन (HW) देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है. यह सबसे लोकप्रिय और सुविधाजनक विकल्प है.

  • सड़क मार्ग से: दिल्ली, देहरादून, ऋषिकेश, मेरठ आदि शहरों से हरिद्वार सड़क मार्ग से भी सरलता से पहुंचा जा सकता है.

calender
27 July 2025, 03:04 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag