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मुहर्रम में ताजिया बनाने कितना होता है खर्च? लंबाई को लेकर नए निर्देश

रविवार को मुहर्रम मनाया जाएगा. इसकी तैयारी महीनों पहले से ही शुरू हो जाती है. सभी गांव और शहरों में लोग जिस काबिल होतें है उसके हिसाब से ताजिया बनाते है. कई जगहों पर ताजिया में सोने और चांदी के भी कुछ अंश जड़े होते हैं.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Muharram: मुहर्रम, इस्लामिक कैलेंडर का पहला और पवित्र महीना हर साल इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. इस अवसर पर सभी गांव शहर में ताजिया बनाकर जुलूस निकाले जाते हैं. जो श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक हैं. इसबार ताजिया निर्माण की लागत और उनकी ऊंचाई को लेकर हाल ही में प्रशासन ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके. इस साल 6 जुलाई को मुहर्रम मनाया जाएगा जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं. लगभग सभी जगहों पर ताजिया निर्माण कार्य पूरा हो चुकी है, लेकिन बढ़ती लागत और सुरक्षा चिंताओं के चलते प्रशासन ने कुछ सख्त नियम लागू किए हैं. 


ताजिया की ऊंचाई को लेकर नए दिशानिर्देश

उत्तर प्रदेश में ताजिया की ऊंचाई को को लेकर प्रशासन ने सख्त नियम लागू किए हैं. नए दिशानिर्देशों के अनुसार, ताजिया की अधिकतम ऊंचाई 10 से 12 फीट तक का आदेश है. तो वही कुछ जगहों पर 13 से 15 फीट तक भी है, लेकिन 50 फीट तक ऊंचे ताजियों पर पूरी तरह प्रतिबंध है. "मुहर्रम के से पहले ही बिजली इत्यादि की सभी व्यवस्था को सही कर ली गई है. जल भराव से निपटने की तैयारी भी पूरी है. ताजिए और अलम की लंबाई आठ फीट से ज्यादा न हो." इसके अलावा, जुलूस में डीजे की ऊंचाई और आवाज को भी कम करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी को कोई असुविधा न हो.

ताजिया निर्माण में कितना आता है खर्च?

ताजिया बनाने की लागत इसकी डिजाइन, सामग्री और आकार पर निर्भर करती है. सामान्य तौर पर, छोटे ताजिए 8,000 से 10,000 रुपये में बनाए जाते हैं, जबकि बड़े और भव्य ताजिए, जिनमें सोने-चांदी या अन्य महंगी सजावट के चीजों का उपयोग होता है, तब उनकी लागत कभी-कभी लाखों रुपये तक हो पहुंच जाती है. कुछ जगहों पर ताजमहल की तर्ज पर बनाए जाने वाले ताजिए जो लाख तक के लागत के साथ तैयार किए जाते हैं. कारीगरों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बांस, कागज, लुगदी, आटा और मैदा जैसी सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि के कारण ताजिया निर्माण का खर्च दोगुना हो गया है. 

ताजिया निर्माण की परंपरा और महत्व

ताजिया, इमाम हुसैन के कर्बला में मकबरे का प्रतीक स्वरूप है. जिसे बांस, लकड़ी, थर्माकोल और रंग-बिरंगे कागजों से बनाया जाता है. यह परंपरा भारत में तैमूर के समय से शुरू हुई थी. जब उनके दरबारियों ने कर्बला की कब्र जैसी संरचनाएं बनाई थीं. आज यह परंपरा भारतीय उपमहाद्वीप में भाईचारे और सौहार्द का प्रतीक बन चुकी है. आगरा में मुगल काल से फूलों के ताजिए बनाए जाते हैं, जिन्हें अजमेर की चिश्ती दरगाह से मंगाए गए गुलाबों से सजाया जाता है. ताजिया कमेटी से जुड़े समी आगाई ने बताया, "इसी ताजिए के उठने के बाद शहर के बाकी ताजिए उठाए जाते हैं और कर्बला की तरफ रवाना होते हैं."

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04 July 2025, 12:14 PM IST

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