'अगर महिलाओं के शरीर का दिखेगा यह अंग, तो वह सुरक्षित नहीं', विवादित बयान पर कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने बयान पर बाद में दी सफाई
एक सम्मेलन में पहुंचे मशहूर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपने उस विवादित बयान पर सफाई दी, जिसमें उन्होंने महिलाओं के पहनावे को लेकर कहा था कि अगर महिला की नाभि दिखेगी, तो वह सुरक्षित नहीं रहेगी. इस बयान को लेकर उपजे विवाद के बाद उन्होंने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए लोगों का ध्यान खींचा है.

Pandit Pradeep Mishra: कथावाचक प्रदीप मिश्रा द्वारा महिलाओं की नाभि को लेकर दिए गए विवादित बयान ने सोशल मीडिया पर खूब हलचल मचाई थी. उनका यह कथन महिलाओं की स्वतंत्रता और आधुनिकता के मुद्दे से जुड़कर जमकर चर्चा में रहा. हाल ही में एक सम्मेलन कार्यक्रम में प्रदीप मिश्रा ने अपने बयान के संदर्भ और मतलब को विस्तार से समझाया और कहा कि उनका उद्देश्य किसी की स्वतंत्रता सीमित करना नहीं था बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की महत्ता को रेखांकित करना था.
प्रदीप मिश्रा ने बताया कि उनके बयान का आधार तुलसी की क्यारी की कथा है जिससे उन्होंने जीवन में सुरक्षा और उन्नति का प्रतीक समझाया. इस बयान के बाद उनका तर्क सुर्खियों में रहा कि भारतीय संस्कृति में पहनावे का क्या महत्व है और महिलाओं को मर्यादा और संस्कार के साथ अपने कपड़ों का चयन करना चाहिए.
तुलसी की कथा से समझाया बयान
प्रदीप मिश्रा ने स्पष्ट किया कि अगर महिला की नाभि दिखेगी तो वह सुरक्षित नहीं है लेकिन अगर नाभि ढकी रहेगी तो वह सुरक्षित रहेगी. यह बात उन्होंने तुलसी की क्यारी की कथा के संदर्भ में कही थी. उन्होंने कहा जब किसी पौधे की जड़ मिट्टी से बाहर आ जाती है तो वह सूख जाता है ठीक वैसे ही मनुष्य की जननी की जड़ नाभि है. यदि यह परदे में रहेगी तो जीवन में प्रगति होगी और नारी की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी.
महिलाओं के पहनावे पर कथावाचक की राय
प्रदीप मिश्रा ने यह भी कहा कि उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था बल्कि वे भारतीय संस्कृति में वस्त्रों के महत्व को समझाना चाहते थे. उन्होंने बताया कि भारतीय नारियों ने सदियों से ऐसे वस्त्र पहने हैं जो मर्यादा और सभ्यता को दर्शाते हैं.
भारतीय परिधान में छिपी है मर्यादा
कथावाचक ने कहा कि हमारी पूर्व की नारियों का पहनावा श्रेष्ठ रहा है. साड़ी के उदाहरण को लेकर उन्होंने कहा कि आज भी जब हमारे नेता विदेश जाते हैं तो उनका स्वागत साड़ी पहनकर किया जाता है क्योंकि यह हमारी संस्कृति और सभ्यता की पहचान है.
पहनावे से समाज को मिले प्रेरणा
प्रदीप मिश्रा ने महिलाओं से अपील की कि वे ऐसे वस्त्र पहनें जो समाज में प्रेरणा का स्रोत बनें. उन्होंने कहा कि हमारा पहनावा हजारों लोगों को प्रेरणा देता है. मेरी बहनें और बेटियां ऐसे वस्त्र पहनें जो मर्यादा और संस्कृति को आगे बढ़ाएं. प्रदीप मिश्रा ने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को अपने विवेक से फैसला लेना चाहिए कि उसे कैसा पहनावा अपनाना है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मेरा उद्देश्य किसी पर नियम थोपना नहीं है बल्कि परंपरा और मर्यादा के महत्व को समझाना है.


