कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी, पांच साल के बाद 30 जून से होगी शुरुआत!
पांच साल बाद, 30 जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो रही है. कोविड-19 के कारण यह यात्रा रुक गई थी लेकिन अब तीर्थयात्रियों के लिए यह शानदार अवसर वापस आया है. अगर आप भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं तो पूरी जानकारी जानने के लिए खबर जरूर पढ़ें!

Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो हर साल तीर्थयात्रियों के लिए एक खास अवसर होती थी, पांच साल के अंतराल के बाद इस साल फिर से शुरू हो रही है. कोविड-19 महामारी के कारण 2020 से यह यात्रा रुक गई थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से यह यात्रा फिर से आयोजित की जा रही है. 30 जून 2025 से इस यात्रा का आगाज होगा और तीर्थयात्रियों के लिए यह एक बहुत बड़ी खुशखबरी है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग और खासियतें
कैलाश मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित लिपुलेख दर्रे से होकर गुजरती है, जो समुद्रतल से 17,000 फीट की ऊंचाई पर है. यह यात्रा तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक जाती है, जो हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र मानी जाती है. इस पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है, और इसकी परिक्रमा करने और मानसरोवर झील में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
यात्रा की तारीखें और विवरण
यात्रा का पहला जत्था 30 जून को दिल्ली से रवाना होगा, जिसमें पांच समूह होंगे. हर समूह में 50-50 श्रद्धालु होंगे, यानी कुल 250 यात्री इस यात्रा का हिस्सा बनेंगे. यात्रा का पहला दल 10 जुलाई को लिपुलेख दर्रे से चीन में प्रवेश करेगा, और अंतिम जत्था 22 अगस्त को चीन से वापस भारत लौटेगा.
यात्रा के दौरान तीर्थयात्री कई प्रमुख स्थलों पर रुकेंगे. ये जगहें हैं - टनकपुर (चंपावत जिले), धारचूला (पिथौरागढ़), गुंजी और नाभीडांग. कैलाश दर्शन के बाद यात्री चीन से वापसी करते हुए पिथौरागढ़ जिले के बूंदी, चौकोरी और अल्मोड़ा में रुकेंगे, और फिर दिल्ली लौटेंगे. पूरे यात्रा का समय 22 दिन का होगा.
स्वास्थ्य जांच और सुरक्षा इंतजाम
यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच दिल्ली और गुंजी में की जाएगी. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यात्रा में शामिल सभी यात्री शारीरिक रूप से सक्षम हों और यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करें.
कैलाश मानसरोवर का धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर है और यह स्थान विशेष रूप से मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है. यहाँ की परिक्रमा करने से आत्मा को शांति मिलती है और जीवन के सारे पापों का नाश होता है. यही कारण है कि हर साल हजारों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में भाग लेने आते हैं, जो अपने जीवन के इस महान अनुभव को अपने साथ लेकर जाते हैं.
यात्रा की तैयारी
कैलाश मानसरोवर यात्रा में शामिल होने के लिए तीर्थयात्रियों को पहले से तैयारी करनी होती है. उन्हें शारीरिक रूप से फिट रहना होता है क्योंकि यह यात्रा कठिन मार्गों से होकर गुजरती है. साथ ही, यात्रा में भाग लेने के लिए एक खास प्रक्रिया और कागजी कार्रवाई भी होती है, जिसे यात्रियों को पूरी करनी होती है.
कैलाश यात्रा का महत्व
कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत बड़ा है. यह यात्रा भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अहम हिस्सा है और इसे हर वर्ष लाखों लोग अनुभव करना चाहते हैं. इस यात्रा के दौरान यात्रियों को न केवल एक आध्यात्मिक अनुभव मिलता है, बल्कि यह उनके मानसिक और शारीरिक दृढ़ता को भी परखने का एक अवसर होता है.


