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7 सितंबर को लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, जानें भारत के किन शहरों में नजर आएगा ब्लड मून

7 सितंबर की रात आसमान में साल का आखिरी और बेहद खास चंद्र ग्रहण नजर आएगा. इस दौरान पूर्ण चंद्र ग्रहण के चलते चांद लाल और नारंगी आभा से दमकता दिखेगा. इसे ब्लड मून कहा जाता है. भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में लोग इस अद्भुत खगोलीय घटना का नजारा देख पाएंगे.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Chandra Grahan: इस साल का अंतिम और दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात को लगने जा रहा है. इस दौरान आसमान में लाल और नारंगी रंग से दमकते हुए ब्लड मून का अद्भुत दृश्य दिखाई देगा. यह ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा के दिन शुरू होकर 8 सितंबर की देर रात तक चलेगा. इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया से गुजरेगा और धीरे-धीरे अपने रंग बदलते हुए खूबसूरत रूप में नजर आएगा.

खगोल विज्ञानियों के मुताबिक, यह चंद्र ग्रहण कुल 82 मिनट तक चलेगा और भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में इसका सीधा नजारा देखा जा सकेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भारत में ग्रहण काल के दौरान सूतक काल मान्य होगा, जिसमें पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी. ग्रहण समाप्त होते ही सूतक काल भी खत्म हो जाएगा.

किन-किन शहरों में दिखेगा चंद्र ग्रहण?

भारत में 7 सितंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण कई बड़े शहरों में नजर आएगा. इनमें शामिल हैं-

  • उत्तर भारत: दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर, लखनऊ

  • पश्चिम भारत: मुंबई, अहमदाबाद, पुणे

  • दक्षिण भारत: चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोच्चि

  • पूर्व भारत: कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहटी

  • मध्य भारत: भोपाल, नागपुर, रायपुर

चंद्र ग्रहण का समय

भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और 8 सितंबर की रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा.

  • ब्लड मून का नजारा: रात 11 बजे से

  • ग्रहण का चरम समय: रात 11 बजकर 42 मिनट पर

भारत के अलावा कहां दिखेगा ग्रहण?

यह खगोलीय घटना सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगी. 7 और 8 सितंबर को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी हिस्सों, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी इलाकों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा.

धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ग्रहण काल के दौरान सूतक काल मान्य होता है. इस दौरान मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ व मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. ग्रहण समाप्त होते ही मंदिर पुनः खोले जाते हैं और शुद्धिकरण के बाद धार्मिक गतिविधियां शुरू होती हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह घटना पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा की एक सीध में आने से होती है, जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है.

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06 September 2025, 03:22 PM IST

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