मिलिए उस शख्स से जिसने ऊंची तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी और बन गया साधु, अमेरिका में आर्मी कमांडर थे पिता, महाकुंभ में...

पंचायती अखाड़े के अध्यक्ष एवं अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत रविंदर पुरी के अनुसार, टॉम की यात्रा 15 वर्ष की आयु में अध्यात्म में गहरी रुचि के साथ शुरू हुई. रविवार को एक भव्य समारोह के दौरान उन्हें आधिकारिक तौर पर महामंडलेश्वर के रूप में दीक्षा दी गई , जहां उन्हें मंत्रोच्चार और भगवा वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

यूपी न्यूज. टॉम नामक एक व्यक्ति, जो एक पूर्व वरिष्ठ अमेरिकी सेना अधिकारी और एक आईटी पेशेवर का बेटा है. उन्होंने भारत में आध्यात्मिक जीवन को अपनाया है. अब व्यासानंद गिरि के नाम से जाने जाने वाले टॉम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान निरंजनी अखाड़े में शामिल हो गए हैं. रविवार को एक भव्य समारोह के दौरान उन्हें आधिकारिक तौर पर महामंडलेश्वर के रूप में दीक्षा दी गई. जहां उन्हें मंत्रोच्चार और भगवा वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया.

15 साल की उम्र में... 

पंचायती अखाड़े के अध्यक्ष और अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी के अनुसार, टॉम की यात्रा 15 साल की उम्र में आध्यात्म में गहरी रुचि के साथ शुरू हुई. आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं से प्रेरित और बाद में महर्षि महेश योगी के मार्गदर्शन में उन्होंने संन्यास के मार्ग पर चलना शुरू किया. इसके लिए अपने करियर और पारिवारिक जीवन को पीछे छोड़ने का फैसला किया. पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने खुद को योग, ध्यान और हिंदू धर्म और सनातन धर्म के अध्ययन के लिए समर्पित कर दिया. अक्सर ऋषिकेश का दौरा किया.

हिंदू धर्म अपनाने का फैसला किया

पुरी ने टॉम के महामंडलेश्वर व्यासानंद गिरि बनने की आध्यात्मिक यात्रा के बारे में विस्तार से बताया कि श्री टॉम आईटी सेक्टर में काम करते थे. कुछ समय बाद, वे अध्यात्म की ओर आकर्षित हुए और हिंदू धर्म अपनाने का फैसला किया. इसके बाद, उन्होंने संन्यास ले लिया. उन्होंने योग और ध्यान करना शुरू किया, हिंदू धर्म और सनातनी संस्कृति पर बहुत शोध किया और पिछले कुछ सालों में अक्सर ऋषिकेश आते रहे और मुझसे मिले.

टॉम को दिया गया व्यासानंद गिरि नाम 

आध्यात्मिक मार्ग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करने के बाद, टॉम को व्यासानंद गिरि नाम दिया गया और महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया. महंत पुरी ने बताया कि अखाड़े में यह महत्वपूर्ण पद उन व्यक्तियों के लिए आरक्षित है. उन्होंने ध्यान, योग और आत्म-अनुशासन में महारत हासिल कर ली है. यह सनातन धर्म की रक्षा करने की इच्छा को भी दर्शाता है, चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी त्याग क्यों न करना पड़े. जब अखाड़े को उनकी तत्परता पर भरोसा हो गया, तो व्यासानंद गिरि को औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया।

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17 January 2025, 04:03 PM IST

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