Sita Navami 2025: आज है सीता नवमी, विवाहित महिलाएं इस विधी से करें पूजा, अखंड सौभाग्य का मिलेगा आशीर्वाद

Sita Navami 2025: आज 5 मई 2025 को पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ सीता नवमी का पर्व मनाया जा रहा है. यह दिन माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और खासकर विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखकर पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Sita Navami 2025: सीता नवमी 2025: सीता नवमी, जिसे सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है, माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. यह विशेष पर्व हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो अपने पति की लंबी उम्र और भलाई के लिए व्रत करती हैं और विशेष पूजा अर्चना करती हैं.

इस वर्ष सीता नवमी 5 मई 2025 को मनाई जा रही है. इस दिन विशेष रूप से माता सीता की पूजा की जाती है, जिनकी पवित्रता, भक्ति और तपस्या ने उन्हें आदर्श पत्नी और महिला के रूप में प्रतिष्ठित किया है. अब जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से.

सीता नवमी शुभ मुहूर्त 2025

सीता नवमी का पर्व 5 मई 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 7:35 बजे से शुरू होकर, 6 मई 2025 को सुबह 8:38 बजे तक रहेगा. यह समय पूजा और व्रत रखने के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा. इसे लेकर सभी श्रद्धालु अपना पूजा कार्यक्रम इस समय के अनुसार तय कर सकते हैं.

सीता नवमी का महत्व और पौराणिक कथा

माता सीता को 'जानकी' भी कहा जाता है क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं. उनके जन्म की पौराणिक कथा बेहद रोचक और अद्भुत है. कहा जाता है कि एक बार मिथिला में अकाल पड़ गया था. तब ऋषियों ने राजा जनक से यज्ञ करने को कहा. यज्ञ के बाद राजा जनक ने खेतों में हल चलाया और हल एक संदूक से टकराया. राजा ने उसे खोला और उसमें एक कन्या मिली. राजा जनक ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर उसे 'सीता' नाम दिया.

सीता का जन्म स्थान सीतामढ़ी (बिहार) और जनकपुर (नेपाल) को माना जाता है. वह पवित्रता, भक्ति और समर्पण की मूर्ति थीं, जिन्होंने जीवनभर कठिनाइयों का सामना किया और हमेशा मुस्कान के साथ उनका सामना किया. उनकी जीवन गाथाएं हर किसी को प्रेरित करती हैं.

सीता नवमी पूजा विधि

सीता नवमी के दिन साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान को स्वच्छ करके माता सीता और भगवान राम की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर सच्चे मन से उन्हें पूजा अर्पित करें और उनके समक्ष फूल, फल, और भोग चढ़ाएं. इस दिन विशेष रूप से सात्विक आहार लेना और व्रत रखना उत्तम माना जाता है. जो भक्त व्रत रखना चाहते हैं, वे इस दिन केवल सात्विक भोजन का सेवन करें और भगवान राम और माता सीता की उपासना करें.

सीता नवमी का उपासना का महत्व

माता सीता की पूजा से न केवल भक्ति में वृद्धि होती है, बल्कि यह जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि भी लाती है. उनका जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उनका संघर्ष और तपस्या हर किसी को यह सिखाती है कि जीवन में हर स्थिति का सामना मुस्कान और धैर्य के साथ किया जाना चाहिए.

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05 May 2025, 11:26 AM IST

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