नीम करौली बाबा: एक समाधिस्थ संत ने बचा लिया उस आदमी को... जिसने Apple बना दी दुनिया को!
स्टीव जॉब्स, जिनका नाम टेक्नोलॉजी की दुनिया में भगवान समान लिया जाता है, एक दौर में इतने टूट चुके थे कि आत्महत्या तक की सोचने लगे थे। लेकिन भारत की धरती ने, एक संत ने, उन्हें फिर से जन्म दिया—बिना शब्दों के, बिना दर्शन के... सिर्फ आशीर्वाद से।

Regional News: साल 1974 में, स्टीव जॉब्स 19 साल के नौजवान थे। उनके भीतर एक अजीब-सी बेचैनी थी—जैसे कुछ खो गया हो। वे आत्मज्ञान की तलाश में थे। नौकरी छोड़ चुके थे, दोस्तों से दूर हो गए थे और जीवन की दिशा खो बैठे थे। तभी मित्र ने उन्हें भारत के एक दिव्य संत नीम करौली बाबा—के बारे में बताया। स्टीव ने पल भी नहीं गंवाया और भारत के लिए निकल पड़े। उन्हें नहीं पता था कि उनके जीवन की सबसे बड़ी क्रांति उन्हें यहां मिलने वाली है। हर दिन उन्हें लगता था कि ज़िंदगी हाथ से फिसल रही है। वो न खुशी समझ पा रहे थे, न दुख की परिभाषा। जिस तकनीक ने उन्हें पहचाना, उसी से वो ऊब चुके थे। स्टीव अब जवाब नहीं, सवाल बन चुके थे। और तभी—किसी अदृश्य शक्ति ने उनकी ऊंगली पकड़ ली। भारत ने उन्हें सिर्फ रास्ता नहीं दिया... बल्कि फिर से जन्म दिया।
कैंची धाम पहुंचते ही टूटा सपना?
जब स्टीव कैंची धाम पहुंचे, तो पता चला कि बाबा नीम करौली महाराज अब इस दुनिया में नहीं हैं। समाधि हो चुकी थी। स्टीव टूट गए। उनका मन फिर से अंधेरे में डूबने लगा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कैंची धाम में रुकने का फैसला किया।
सपने में हुआ चमत्कारिक संदेश
कहते हैं उस रात बाबा के पुराने शिष्य ने एक सपना देखा। बाबा नीम करौली ने सपने में आकर कहा"जिसे बुलाया है, वो आया है... उसका रास्ता साफ कर दो।" ये वाक्य जैसे किसी दिव्य शक्ति ने भेजा हो। अगली सुबह स्टीव को आश्रम में आमंत्रित किया गया। वे चौंके, लेकिन गए। उनके लिए यह एक आध्यात्मिक बुलावा था।
दर्शन जो जीवन बदल दे
आश्रम में बिना किसी से बात किए, बिना कुछ कहे, बाबा के पुराने शिष्यों ने स्टीव को वो स्थान दिखाया जहां बाबा बैठते थे। वहाँ बैठे स्टीव को एक अजीब शांति महसूस हुई। उन्हें लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें देख रही है, छू रही है। और उसी क्षण उनके भीतर कुछ बदल गया। उन्होंने वही सुना जो कोई नहीं बोल रहा था—“तेरा रास्ता वहीं है जहां से आया है, लेकिन अब खुद को पहचान कर जा।”
अमेरिका लौटे, लेकिन नए अवतार में
स्टीव भारत से लौटे, लेकिन अब वो पहले जैसे नहीं थे। उन्हें अपने अस्तित्व का अहसास हो गया था। उन्होंने Apple की शुरुआत की—एक ऐसी कंपनी जो न सिर्फ टेक्नोलॉजी को बदलेगी, बल्कि सोचने का तरीका भी। उन्होंने अपनी टीम से कहा—“Design is soul” यानी डिज़ाइन आत्मा है। यही दर्शन उन्हें नीम करौली बाबा के आश्रम में मिला था।
Apple में बाबा की झलक?
स्टीव जॉब्स के करीबी बताते हैं कि वे अपने ऑफिस में बाबा नीम करौली की तस्वीर रखते थे। एक बार उन्होंने मार्क ज़ुकरबर्ग को भी भारत जाने की सलाह दी थी, और आश्चर्यजनक रूप से उन्होंने भी कैंची धाम जाकर दर्शन किए। बाबा के इस अदृश्य आशीर्वाद ने न सिर्फ स्टीव को बचाया, बल्कि तकनीकी दुनिया को एक नया भविष्य दिया।
एक मौन आशीर्वाद, जिसने रच दिया इतिहास
बाबा नीम करौली से स्टीव की भेंट कोई साधारण घटना नहीं थी। यह एक चेतना का संचार था, जो बिना बोले हुआ। ना बाबा जीवित थे, ना उनसे कोई मुलाक़ात हुई, लेकिन उनके आश्रम की ऊर्जा ने जॉब्स को उस अंधेरे से निकाला जिसमें वो डूब चुके थे। यही है भारतीय अध्यात्म की शक्ति—जो किसी सीमा, भाषा या शरीर की मोहताज नहीं।


