कुंभ मेले की वो काली रात, जिस वक्त प्लेटफॉर्म पर बिखरी लाशें... डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं के साथ ऐसा क्या हुआ?
साल 2013 में प्रयागराज में ही कुंभ के मेले का आयोजन हुआ, जहां करीब 3 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे. डुबकी लगााने के बाद प्रयागराज रेलवे स्टेशन गए तो वहां भगदड़ मच गई और अचानक कुछ ऐसा हुआ कि प्लेटफॉर्म पर लाशें बिखरी गई. जिसमें महिलाओं, पुरुषों, युवाओं और बुजुर्गों समेत कुल 36 लोगों की जान चली गई.

कुंभ के मेले का आयोजन हर 12 साल बाद होता हैं. पिछली बार ये मेला 10 फरवरी 2013 को प्रयागराज में ही आयोजित हुआ. मौनी अमावस्या के पावन दिन संगम में डुबकी लगाने के लिए करीब 3 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे. लेकिन उसी दिन बाद में प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर ऐसी भयावह भगदड़ मच गई जिसे भुला पाना बेहद मुश्किल हैं. प्लेटफॉर्म नंबर 6 की वो जगह जहां पैर रखने की बिल्कुल भी जगह नहीं थी, हादसे का शिकार बन गई.
कैसे हुआ हादसा?
संगम स्नान के बाद श्रद्धालु घर लौटने के लिए प्लेटफॉर्म पर इकट्ठा हो रहे थे. स्टेशन पर व्यवस्थाएं चरमराई हुई थी. प्लेटफॉर्म नंबर 6 पर खचाखच भरी भीड़ के बीच अचानक अनाउंसमेंट हुआ कि ट्रेन दूसरे प्लेटफॉर्म पर आएगी. श्रद्धालुओं ने फुट ओवर ब्रिज की तरफ दौड़ लगाई. इसी दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई. रेलवे पुलिस ने हालात संभालने के लिए लाठीचार्ज किया, जिससे भगदड़ मच गई.
लाशों का अंबार और इलाज के अभाव में मौतें
भगदड़ थमने के बाद प्लेटफॉर्म पर लाशें बिखरी पड़ी थी. महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों समेत 36 लोगों की जान चली गई. घायलों को वक्त पर इलाज नहीं मिला. रेलवे कुंभ वार्ड में ताला लगा हुआ था. ऑक्सीजन सिलेंडर खाली थे और स्ट्रेचर तक मौजूद नहीं था. लोगों को कपड़ों और चादरों में लपेटकर अस्पताल पहुंचाया गया.
परिवारों का दर्द
बिहार की एक महिला अपनी बेटी को खोजती बदहवास घूम रही थी. बेटी की दो महीने बाद शादी थी. झारखंड के प्रसाद यादव ने बताया कि वह भीड़ के नीचे दब गए थे और उन्हें लगा कि उनकी मौत निश्चित है. अस्पताल में आंख खुली तो लगा जैसे दूसरी जिंदगी मिली हो.
प्रशासन की नाकामी
रेलवे और प्रशासन की लापरवाही साफ झलक रही थी. हादसे के वक्त कुंभ वार्ड में ताला था. मृतकों के परिजनों को शवों के लिए कफन तक नहीं मिल पाया. हजार-1200 रुपये में कफन बिके. कई शव घंटों स्टेशन पर पड़े रहे.
सामने आए प्रशासनिक कारण
प्रयाग जंक्शन के चौक साइड पर लौटने वाले श्रद्धालुओं के लिए बाड़े बनाए गए थे, लेकिन उस दिन यह व्यवस्था फेल हो गई. सिविल लाइन्स साइड से भी भीड़ बढ़ने लगी. ट्रेनें देर से चल रही थी, जिससे प्लेटफॉर्म पर भीड़ जमा होती गई.
सुबह भी मची थी भगदड़, लेकिन नहीं मिला सबक
मौनी अमावस्या की सुबह सेक्टर 12 में भगदड़ मची थी. चार लोगों की मौत हो गई थी. बावजूद इसके प्रशासन अलर्ट नहीं हुआ. तत्कालीन यूपी सरकार में मंत्री आजम खान ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया, लेकिन हादसे के लिए मीडिया और रेलवे को दोषी ठहराया. मृतकों को यूपी सरकार ने 5 लाख और रेलवे ने 1 लाख रुपये मुआवजा दिया.