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नीम करोली बाबा ने क्यों छोड़ दिया था अपना घर? जानिए पीछे छिपी आध्यात्मिक कहानी

नीम करोली बाबा को भारत के सबसे रहस्यमयी और श्रद्धेय संतों में गिना जाता है. हनुमान जी के अनन्य भक्त कहे जाने वाले बाबा का जीवन चमत्कारों और आध्यात्मिक प्रेरणाओं से भरा रहा. कहा जाता है कि जब बाबा कम उम्र में ही घर छोड़कर साधना के पथ पर निकल पड़े, तो उनके पिता को पड़ोसियों ने एक ऐसी सलाह दी, जो आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

नीम करोली बाबा, जिनका नाम श्रद्धा और भक्ति का पर्याय बन चुका है, देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पूजे जाते हैं. उन्हें भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है और उनके जीवन से जुड़े अनेक चमत्कार आज भी लोगों की आस्था का केंद्र हैं. बाबा का जीवन जितना रहस्यमयी रहा, उतना ही प्रेरणादायक भी, खासकर तब जब वे कम उम्र में ही सांसारिक मोह त्याग कर अध्यात्म की राह पर चल पड़े.

कहते हैं कि जब नीम करोली बाबा घर-परिवार छोड़कर सन्यास के मार्ग पर चल दिए थे, तो उनके पिता बेहद चिंतित हो उठे थे. तभी पड़ोसियों ने एक ऐसी सलाह दे डाली, जो आज भी लोगों को हैरान कर देती है. उन्होंने कहा कि इनका विवाह करवा दीजिए, सब ठीक हो जाएगा, लेकिन बाबा को किसी भी सांसारिक बंधन ने रोक नहीं पाया.

कौन थे नीम करोली बाबा?

नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में एक ब्राह्मण परिवार में लक्ष्मण नारायण शर्मा के रूप में हुआ था. बाल्यकाल से ही उनके भीतर आध्यात्मिकता के बीज थे. प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद उन्होंने बहुत जल्दी सांसारिकता से मुंह मोड़ लिया और मात्र 17 वर्ष की आयु में दिव्य ज्ञान की प्राप्ति कर ली.

हनुमान जी के अनन्य भक्त

नीम करोली बाबा को हनुमान जी का परम भक्त माना जाता है. कई श्रद्धालु तो उन्हें हनुमान जी का ही अवतार मानते हैं. नैनीताल के पास स्थित कैंची धाम आश्रम आज भी उनकी भक्ति और चमत्कारों का गवाह बना हुआ है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

घर छोड़कर पहुंचे थे आध्यात्म की राह पर

नीम करोली बाबा का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. एक समय ऐसा आया जब वे घर-परिवार, रिश्ते-नाते और सामाजिक जिम्मेदारियों को त्यागकर अज्ञातवास में चले गए. इसी दौरान उनके पिता को समाज और पड़ोसियों की ओर से सलाह मिली कि "इनका विवाह करवा दीजिए", लेकिन बाबा के अंदर का वैराग्य इतना प्रबल था कि न विवाह, न रिश्तों और न ही सांसारिक मोह ने उन्हें रोक पाया.

परिवार की जिम्मेदारियां भी निभाई

हालांकि नीम करोली बाबा ने सन्यास की राह चुनी थी, लेकिन उनका जीवन संतुलन का आदर्श उदाहरण है. वह अपने परिवार से पूरी तरह कटे नहीं थे. एक समय बाद वे फिर अपने घर लौटे और पारिवारिक जिम्मेदारियां भी निभाईं. उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक संत भी पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाए रख सकता है.

आज भी जीवित हैं उनकी शिक्षाएं

नीम करोली बाबा अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी शिक्षाएं, विचार और भक्ति आज भी करोड़ों लोगों के जीवन को दिशा दे रही हैं. उनका कैंची धाम आश्रम आध्यात्म का केंद्र बन चुका है और उनके अनुयायियों में आमजन से लेकर बड़े-बड़े विदेशी सेलेब्रिटी तक शामिल हैं.

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14 June 2025, 12:17 PM IST

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