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बद्रीनाथ धाम में क्यों नहीं भौंकते कुत्ते? जानिए इस रहस्य के पीछे की अद्भुत मान्यता

बद्रीनाथ मंदिर, चार धामों में से एक पवित्र तीर्थ, अपने चमत्कारों और रहस्यों से हर किसी को आश्चर्यचकित करता है. यहां भगवान विष्णु ध्यानमग्न मुद्रा में विराजमान हैं. जो भक्तों के लिए एक अलौकिक अनुभव है. तो आइए इस पवित्र मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को जानते हैं.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Badrinath Dham Mystery: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम भारत के सबसे प्राचीन और पूजनीय तीर्थ स्थलों में से एक है. अलकनंदा नदी के किनारे बसा यह धाम न केवल चारधाम यात्रा का अहम हिस्सा है, बल्कि इसे 'हिमालयी चारधाम' का भी गौरव प्राप्त है. इस पवित्र स्थल को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है, जहां वे ध्यान की मुद्रा में विराजमान हैं.

बद्रीनाथ धाम को लेकर कई चमत्कारी और रहस्यमयी बातें प्रचलित हैं लेकिन एक बात जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे अधिक चौंकाती है वह यह कि यहां कोई कुत्ता भौंकता हुआ नजर नहीं आता. इतना ही नहीं यहां आकाशीय बिजली चमकती है लेकिन उसकी गर्जना सुनाई नहीं देती और बादल बरसते हैं पर गरजते नहीं. यह सब सुनकर लगता है मानो प्रकृति स्वयं यहां तपस्या में लीन हो.

क्यों नहीं भौंकते कुत्ते बद्रीनाथ धाम में?

बद्रीनाथ धाम में यह माना जाता है कि भगवान विष्णु ध्यानस्थ अवस्था में हैं और उनके ध्यान को भंग करने की इजाजत न मनुष्यों को है न ही जानवरों को. यही कारण है कि यहां का वातावरण अत्यंत शांत और दिव्य रहता है. कुत्तों के न भौंकने को भी इसी दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ा जाता है. स्थानीय मान्यता के अनुसार के बद्रीनाथ में भगवान विष्णु ध्यान की मुद्रा में हैं और यहां की प्रकृति, जीव-जंतु और यहां तक कि मौसम भी उनकी तपस्या में सहभागी बन जाते हैं. न बादल गरजते, न बिजली कड़कती, प्रकृति भी खामोश है.

बद्रीनाथ धाम की एक और रहस्यमयी बात यह है कि यहां आकाशीय बिजली तो चमकती है लेकिन उसकी कड़क सुनाई नहीं देती. बादल बरसते हैं लेकिन गर्जना नहीं होती. यह दृश्यावलोकन किसी वैज्ञानिक तथ्य से नहीं बल्कि आध्यात्मिक विश्वासों से जुड़ा है. ऐसा कहा जाता है कि यह सब भगवान विष्णु की तपस्या में बाधा न बने इसीलिए प्रकृति भी अपना शोर बंद कर देती है.

बद्रीनाथ धाम की स्थापत्य कला और भौगोलिक विशेषताएं

बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह नागर शैली में निर्मित एक भव्य और आकर्षक मंदिर है, जो अपनी स्थापत्य कला से सबका ध्यान आकर्षित करता है. मंदिर के गर्भगृह में शालिग्राम शिला से बनी भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है. जिसे 'बद्रीनाथ' कहा जाता है. यह मूर्ति पद्मासन में विराजमान चार भुजाओं वाले विष्णु के स्वरूप को दर्शाती है. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु न केवल धार्मिक उत्साह से सराबोर होते हैं, बल्कि इस स्थान की शांत और पवित्र ऊर्जा उन्हें गहन आध्यात्मिक सुकून प्रदान करती है.

बद्रीनाथ को सिर्फ एक तीर्थ स्थल के रूप में नहीं बल्कि एक जीवंत तपोभूमि के रूप में भी देखा जाता है. यहां की हर चीज पेड़-पौधों से लेकर पशु-पक्षियों और बादलों तक भगवान के ध्यान में सहभागी मानी जाती है. यही इस स्थान को अन्य तीर्थों से अलग और विशेष बनाता है.

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09 September 2025, 01:03 PM IST

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