42 साल में पहली बार! मैनचेस्टर में भारतीय बल्लेबाजों के नाम हुआ अनचाहा रिकॉर्ड, शून्य पर गिरे 2 विकेट
मैनचेस्टर टेस्ट की दूसरी पारी में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही, पहले ओवर में दो विकेट गिरने से टीम बैकफुट पर आ गई. क्रिस वोक्स की शानदार गेंदबाजी, राहुल-गिल की जुझारू बल्लेबाजी और पंत की चोट ने टीम की मुश्किलें बढ़ाईं. अब मुकाबले में बने रहने के लिए भारत को मजबूत साझेदारी की जरूरत है.

मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे चौथे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही. इंग्लैंड द्वारा पहली पारी में बनाए गए विशाल 669 रन के जवाब में भारतीय टीम मात्र पहले ही ओवर में दो विकेट खोकर बैकफुट पर आ गई. शुभमन गिल के नेतृत्व वाली टीम को बल्ले से एक सधी हुई शुरुआत की दरकार थी, लेकिन क्रिस वोक्स ने भारतीय शीर्ष क्रम की कमर ही तोड़ दी.
वोक्स की घातक गेंदबाज़ी ने मचाई तबाही
क्रिस वोक्स ने पहले ओवर में ही भारतीय पारी को गहरा झटका दे दिया. यशस्वी जायसवाल और साईं सुदर्शन लगातार दो गेंदों पर आउट हुए. जायसवाल स्लिप में जो रूट के हाथों लपके गए जबकि साईं सुदर्शन की बॉल सीधे हैरी ब्रुक की दूसरी स्लिप में चली गई. इससे पहले कि भारत मैच में खुद को स्थापित कर पाता, स्कोरबोर्ड पर 0/2 दर्ज हो चुका था.
42 साल बाद दो विकेट पर शून्य
भारत की यह स्थिति टेस्ट इतिहास में बेहद दुर्लभ रही है. आखिरी बार टीम इंडिया ने 1983 में बिना खाता खोले दो विकेट गंवाए थे. तब सुनील गावस्कर चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए थे. अंशुमान गायकवाड़ और दिलीप वेंगसरकर खाता नहीं खोल पाए थे, जिससे गावस्कर को जल्दी आना पड़ा. उसी मैच में वेस्टइंडीज के दिग्गज विवियन रिचर्ड्स ने गावस्कर को स्लेज करते हुए कहा था, “आप चाहे कहीं भी खेलें, स्कोर तो 0 ही रहेगा.”
राहुल और गिल ने दी थोड़ी राहत
हालांकि, शुरुआती झटकों के बाद केएल राहुल और शुभमन गिल ने पारी को संभालने की कोशिश की. दोनों बल्लेबाज़ों ने सतर्कता से खेलते हुए रनगति को बनाए रखने की कोशिश की. इस समय टीम के लिए सबसे जरूरी बात विकेट बचाना है. इंग्लैंड की पहली पारी की 311 रनों की बढ़त को पाटने के लिए एक लंबी साझेदारी की दरकार है.
पंत की चोट और टीम पर खतरा
भारतीय टीम के लिए चिंता की बात यह भी है कि विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत पहले से ही चोटिल हैं. ऐसे में अगर कोई और बल्लेबाज़ जल्दी आउट होता है, तो निचला क्रम पूरी तरह उजड़ सकता है. भारत को अभी भी मुकाबले में बने रहने के लिए संयमित और आक्रामक बैटिंग का संतुलन साधना होगा.


