'अब कहीं नहीं जा रहे', किसके कहने पर आरजेडी संग बनाई थी सरकार? सीएम नीतीश ने किया बड़ा खुलासा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार पाला बदलने के बाद अब दोबारा भाजपा के प्रति वफादारी जताई है. उन्होंने पूर्णिया में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में कहा कि जदयू-भाजपा गठबंधन स्थिर रहेगा. पूर्व गठबंधन बदलाव पर खेद जताते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वे एनडीए नहीं छोड़ेंगे और आगामी चुनाव भी इसी गठबंधन के साथ लड़ेंगे.

Bihar politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगभग एक दशक में कई बार राजनीतिक पाला बदलने के बाद अब एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रति अपनी निष्ठा दोहराई है. उन्होंने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में आश्वासन दिया कि जनता दल (यूनाइटेड)-भाजपा गठबंधन स्थिर और कायम रहेगा.
मजाकिया अंदाज में किया पुराना जिक्र
पूर्णिया में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार ने मुस्कराते हुए तालियां बजाईं. उन्होंने कहा कि वे पहले कभी अपने सहयोगियों के कहने पर दूसरी तरफ चले गए थे. इस दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ की ओर इशारा करते हुए कहा कि पार्टी के कुछ नेताओं के दबाव में उन्हें ऐसा निर्णय लेना पड़ा था. उल्लेखनीय है कि ललन सिंह को उन्होंने दो साल पहले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था.
राजद-कांग्रेस गठबंधन पर खेद
नीतीश कुमार ने खुले मंच से यह भी स्वीकार किया कि उन्हें राजद-कांग्रेस गठबंधन में शामिल होने का निर्णय अब खेदजनक लगता है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे उस गठबंधन का हिस्सा थे, तब कई सहयोगी शरारती गतिविधियों में लिप्त थे, जिससे सरकार चलाना कठिन हो गया था. उन्होंने कहा कि अब वे पूरी तरह से एनडीए के साथ हैं और किसी भी परिस्थिति में गठबंधन नहीं तोड़ेंगे.
जदयू-भाजपा गठबंधन का पुराना इतिहास
नीतीश कुमार ने कहा कि नवंबर 2005 में पहली बार जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार बनी थी. उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने बीच में एक-दो बार रास्ता बदला था, लेकिन अब यह सब अतीत की बात हो चुकी है. नीतीश ने कहा कि मैं दूसरी तरफ गया था, लेकिन वहां कभी सहज महसूस नहीं कर पाया. अब जब वापस आ गया हूँ, तो कहीं नहीं जाऊंगा.
बार-बार बदलते राजनीतिक समीकरण
नीतीश कुमार ने वर्षों तक जदयू-भाजपा गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध करते हुए गठबंधन तोड़ दिया था. मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए हुए दंगों को इसका मुख्य कारण बताया गया था.
2015 में उन्होंने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. हालांकि 2017 में वे अचानक एनडीए में लौट आए और कहा कि राजद के तेजस्वी यादव और अन्य नेताओं के साथ काम करना संभव नहीं है. 2020 का चुनाव भी उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर लड़ा और जीत दर्ज की.
2023 में फिर पलटी, अब दोबारा एनडीए के साथ
2023 में नीतीश एक बार फिर राजद-कांग्रेस गठबंधन में चले गए, लेकिन कुछ ही महीनों में उन्होंने एनडीए में वापसी कर ली. अब वे 15 सितंबर 2025 तक मुख्यमंत्री बने हुए हैं और विधानसभा चुनावों से लगभग एक महीने पहले उन्होंने साफ कर दिया है कि इस बार वे किसी भी परिस्थिति में एनडीए का साथ नहीं छोड़ेंगे.


