इलाहाबाद HC से अब्बास अंसारी को मिली बड़ी राहत, दो साल की सजा रद्द... मऊ सीट पर नहीं होगा उपचुनाव
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी को बड़ी राहत देते हुए मऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा दी गई दो साल की सजा को रद्द कर दिया. यह सजा 2022 विधानसभा चुनावों के दौरान भड़काऊ भाषण मामले में दी गई थी. कोर्ट के फैसले से अब उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो गई है और मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

Abbas Ansari High Court Relief : पूर्व विधायक और माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने अब्बास अंसारी की याचिका स्वीकार कर ली है और एमपी/एमएलए विशेष कोर्ट, मऊ द्वारा दी गई दो साल की सजा को खारिज कर दिया है. इस फैसले के बाद अब अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता वापस मिल जाएगी और मऊ सदर विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव भी अब नहीं होगा.
भड़काऊ भाषण देने का आरोप
जिला न्यायालय ने नहीं दी थी राहत
अब्बास अंसारी ने पहले मऊ जिला जज के समक्ष इस फैसले के खिलाफ अपील की थी, लेकिन 5 जुलाई को जिला अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें अब्बास अंसारी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने पक्ष रखा. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा और अपर महाधिवक्ता एम.सी. चतुर्वेदी ने जोरदार तरीके से कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा और अब्बास को कोई राहत न दिए जाने की अपील की. 30 जुलाई को कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
आज मिला बड़ा फैसला, सदस्यता बहाल
20 अगस्त 2025 को कोर्ट ने अब्बास अंसारी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निचली अदालत की सजा को रद्द कर दिया. इस फैसले के बाद अब ना केवल उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो गई है, बल्कि मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.
मऊ की राजनीति में हलचल
इस फैसले को मऊ जिले की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है. अब्बास अंसारी की वापसी से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं और विपक्षी दलों को रणनीति फिर से तय करनी पड़ सकती है.


