जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में खुदाई के दौरान मिले प्राचीन शिवलिंग और देवी-देवताओं की मूर्तियां, मंदिर होने के संकेत!
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक खुदाई के दौरान प्राचीन शिवलिंग और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बरामद हुई हैं. यह ऐतिहासिक खोज अेशमुकाम के सालिया क्षेत्र स्थित कर्कूट नाग झरने की मरम्मत के दौरान सामने आई, जिससे क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है.

Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक खुदाई के दौरान प्राचीन हिंदू मूर्तियों और शिवलिंगों की महत्वपूर्ण खोज हुई है. यह ऐतिहासिक खोज तब सामने आई जब लोक निर्माण विभाग (PWD) ने अेशमुकाम के सालिया क्षेत्र में स्थित कर्कूट नाग झरने के जीर्णोद्धार कार्य की शुरुआत की थी. जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान अब पुरातात्विक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
खुदाई के दौरान मिले पत्थरों पर उकेरी गई देवी-देवताओं की आकृतियां और शिवलिंगों ने स्थानीय लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है. इसने इस क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास को भी एक बार फिर से जीवंत कर दिया है. मौके पर पहुंचे पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने इन मूर्तियों को श्रीनगर के एसपीएस म्यूजियम में परीक्षण और कार्बन डेटिंग के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
खुदाई में कैसे मिलीं मूर्तियां?
PWD द्वारा झरने की मरम्मत के दौरान स्थानीय मजदूरों ने खुदाई करते समय कई प्राचीन पत्थर की मूर्तियां बरामद कीं. इन मूर्तियों में शिवलिंग प्रमुख हैं, जिनमें से कुछ पर शिल्पकला की बारीक कारीगरी देखी गई है. यह खोज झरने के भीतर बने एक पवित्र कुंड के आसपास हुई, जो स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है.
पुरातत्व विभाग ने की पुष्टि
जम्मू-कश्मीर अभिलेखागार, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और इन मूर्तियों की जांच की. अधिकारियों के अनुसार, इन प्रतिमाओं की कार्बन डेटिंग और अन्य वैज्ञानिक परीक्षण श्रीनगर के SPS संग्रहालय में किए जाएंगे, ताकि उनकी ऐतिहासिक अवधि और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का पता चल सके.
ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण खोज
इस खोज ने कश्मीर के धार्मिक इतिहास और प्राचीन राजवंशों की धरोहर को पुनर्जीवित कर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शोध और संरक्षण कार्य सही ढंग से किया गया, तो यह स्थल न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में बल्कि एक धार्मिक स्थल के रूप में भी पहचाना जा सकता है. इस खोज से पर्यटन की दृष्टि से भी क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ गई हैं.
स्थानीय लोगों की मांग
मूर्ति और शिवलिंग मिलने के बाद स्थानीय लोगों में धार्मिक भावना जागृत हुई है. उनका कहना है कि यह स्थल सदियों से पूज्य रहा है और अब समय आ गया है कि सरकार इसे संरक्षित करे और धार्मिक स्थल के रूप में पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए. एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह हमारी आस्था का प्रतीक है. इस क्षेत्र का गौरव लौटाना जरूरी है."


